पीएम आवास योजना की किश्त की मांग को लेकर प्रदर्शन

पीएम आवास योजना की किश्त की मांग को लेकर प्रदर्शन

पीएम आवास योजना
लंढौरा के लोगों ने पीएम आवास योजना की किस्त की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। पीड़ितों का कहना है कि चार साल से किश्त न मिलने से पन्नी डाल कर खुले आसमान के नीचे रहने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
लंढौरा निवासी शाहिद हुसैन, नसीम हुसैन, माजिद हुसैन, अरशद, यूनुस मालिक समेत 20 से अधिक लोगों का कहना है कि चार साल पहले पीएम आवास योजना सूची में उनके नाम शामिल किए गए थे। 20 हजार रुपये की पहली किश्त मिलने पर उन्होंने अपने कच्चे भवनों को तोड़कर निर्माण शुरू कर दिया था। इन लोगों का कहना है कि किसी को 80 हजार और किसी को 1.20 लाख रुपये की किस्त देकर बाकी पैसा रोक लिया गया। जिसके चलते अधिकतर लोग तभी से छतों पर पन्नी डाल कर रह रहे हैं। मजीद और यूनुस ने बताया कि उन्होंने ब्याज पर पैसा लेकर भवनों पर लिंटर डाल लिया था। लेकिन अभी तक बाकी किश्त न मिलने पर ब्याज का पैसा जेब से देना पड़ रहा है। कई लोगों का कहना है कि वह काफी समय से किराए के भवनों में रह रहे हैं। पीड़ित लोगों का कहना है कि कई बार जनप्रतिनिधियों और नगर पंचायत अधिकारियों से किश्त डालने की मांग की जा चुकी है। लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। बुधवार को पीड़ित लोगों ने प्रदर्शन कर योजना की बाकी रकम खाते में डाले जाने की मांग की। प्रदर्शन करने वालों में शहीद, हैदर, अरशद, शमीम, इस्तखार, इसरार, इनाम, माजिद हुसैन आदि शामिल रहे।
पीड़ितों की पीड़ा

अभी तक मकान बनाने के लिए 2 बार किश्त मिली है। वहीं अन्य किश्त न मिलने पर मकान का निर्माण अधूरा है। वह बच्चे के साथ खुले आसमान के नीचे रह रही है।
एक साल में मात्र 80 हजार रुपये मिले हैं। किश्त न मिलने पर मकान का निर्माण अधूरा है। शिकायत के बावजूद भी किश्त जारी करने में पंचायत अधिकारी आनाकानी कर रहे हैं।
चार साल पहले मकान स्वीकृत हुआ था। योजना की किश्त न मिलने के कारण मकान का काम अधूरा पड़ा हुआ है। नगर पंचायत के चक्कर काट काट कर थक चुके है।
योजना का कुछ पैसा आया है। जल्द ही उक्त रकम को पात्र लोगों के खाते में भेज दी जाएगी।

Source: 
https://www.amarujala.com

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पश्चिम बंगाल लोक सेवा आयोग में निकली बंपर वैकेंसी, जल्द से जल्द करें परीक्षा के लिए आवेदन

WBPSC JOB : पश्चिम बंगाल लोक सेवा आयोग में निकली बंपर वैकेंसी, जल्द से जल्द करें परीक्षा के लिए आवेदन
पश्चिम बंगाल लोक सेवा आयोग

पश्चिम बंगाल की लोक सेवा आयोग ने नारकोटिकस विभाग के 10 पदों के लिए जारी किया नेटिफिकेशन। इच्छुक अभ्यर्थी आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर जल्द से जल्द करें आवेदन। फार्म भरने की आखिरी तारिख 11 नवंबर तक है।
WBPSC भर्ती- पश्चिम बंगाल की लोक सेवा आयोग ने सीनियर साइंटिफिक ऑफिसर, साइंटिफिक असिस्टेंट और फॉरेंसिक साइंस के नारकोटिक्स विभाग में लैबोरेटरी असिस्टेंट के पदों पर भर्ती निकाली गई है। इच्छुक अभ्यर्थी पश्चिम बंगाल लोक सेवा आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर वैकेंसी से जुड़ी जानकारी हासिल कर सकते हैं।
आवेदन फॉर्म –
आवेदन फॉर्म भरने की आखिरी तारीख 11 नवंबर 2022 तक है। फॉर्म में कनेक्शन करने की तारीख 12 से 18 नवंबर 2022 तक है। पश्चिम बंगाल लोक सेवा आयोग में कुल 10 पदों के लिए भर्ती निकाली गई है। जिसमें 2 सीटें सीनियर साइंटिफिक ऑफिसर ,4 सीटें साइंटिफिक असिस्टेंट और 4 सीटें लैबोरेट्री असिस्टेंट के लिए है।
फॉर्म फीस-
सीनियर साइंटिफिक ऑफिसर पोस्ट के लिए आवेदन शुल्क 210 रुपए और साइंटिफिक असिस्टेंट और लैबोरेटरी असिस्टेंट पदों के लिए 160 रुपए फॉर्म फीस होगी।
आयु सीमा-
साइंटिफिक ऑफिसर के लिए यदि आपकी उम्र 1 जनवरी 2022 को 36 साल, सीनियर असिस्टेंट उम्र 39 साल और लैबोरेटरी असिस्टेंट के लिए उम्र 40 साल से ज्यादा नहीं है तो आप लोक सेवा आयोग की ओर से जारी इस आवेदन फॉर्म को भर सकते हैं।
कैसे करें अप्लाई –
1. पश्चिम बंगाल लोक सेवा आयोग की आधिकारिक वेबसाइट www. wbpsc.gov.in के होम पेज पर जाएं
2. वहां जाकर वन टाइम रजिस्ट्रेशन पर क्लिक करें और फॉर्म भर कर इनरोलमेंट नंबर जनरेट करें।
3. जारी किए गए इनरोलमेंट नंबर की मदद और पासवर्ड की मदद से आप फॉर्म में लॉगिन कर सकते हैं।
4. जिसके बाद फॉर्म की फीस पेमेंट कर, डॉक्यूमेंट सबमिट करें
5. जिसके बाद सेव और समिट बटन पर क्लिक करें
6. फॉर्म भरने के बाद फॉर्म की एक कॉपी प्रिंट कर लें।

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आप भी ले सकते हैं लीज पर ट्रेन, इतना देना होगा किराया

आप भी ले सकते हैं लीज पर ट्रेन, इतना देना होगा किराया
लीज पर ट्रेन
सर…मुझे 15 कोच लीज पर चाहिए। निजी ट्रेन चलाकर यात्रियों को पुरी तक ले जाउंगा। यह आवेदन गोरखपुर के एक व्यापारी की है। व्यापारी ने रेलवे की भारत गौरव यात्रा योजना के तहत पारंपरिक बोगियों को लीज पर लेने के लिए आवेदन किया है।
व्यापारी का कहना है कि गोरखपुर से पुरी तक कोई सीधी रेल सेवा नहीं है। ऐसे में वह पुरी तक निजी ट्रेन चलाएंगे। इस ट्रेन के जरिए बुजुर्गों को भगवान जगन्नाथ के दर्शन कराएंगे। व्यापारी की मंशा बुजुर्ग यात्रियों को अधिक से अधिक रियायत पर पुरी तक यात्रा कराने की है। व्यापारी का आवेदन आने के बाद अब रेलवे कोच उपलब्ध कराने के साथ ही औपचारिकताएं पूरी कराने में जुट गया है। वाणिज्य विभाग के अफसरों का कहना है कि एक व्यापारी ने पुरी के लिए 15 कोच की डिमांड की है। कुछ और लोगों ने भी लीज के बारे में कार्यालय में पूछताछ की है।

पुरी ही क्यों

आवेदन के साथ ही व्यापारी ने लिखा है कि कुछ समय पहले उनके समाज के लोगों को पुरी तक यात्रा करनी थी। गोरखपुर से कोई सीधी ट्रेन न होने की वजह से वाराणसी जाना पड़ा। बस से वाराणसी जाते समय कुछ लोगों का सामान चोरी हो गया। बिना पुरी गए सभी वापस गोरखपुर आ गए। इसके बाद कई बार गोरखपुर से पुरी तक सीधी चलाने के लिए रेलवे पत्र लिखा लेकिन कुछ नहीं हुआ। इस समय लीज पर बोगियों को लेकर पुरी तक यात्रा कराने का अच्छा अवसर है।
लीज पर लेने के लिए कितना देना होगा किराया

आवेदक को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करते एक समय एक लाख रुपये जमा करने होंगे। यह पैसा वापस योग्य नहीं है।
रजिस्ट्रेशन के बाद प्रयोग के अधिकार के लिए 15 कोच (6 थर्ड एसी, 6 स्लीपर, एसएलआर-2 और पेंट्रीकार-1) के प्रयोग के लिए एकमुश्त 3761004 रुपये देने होंगे।
इसके बाद लीज शुल्क (15 साल) के रूप में इन्हीं 15 कोच के लिए 25294606 रुपये देने होंगे।
इस सब के बाद 900 रुपये प्रति किलोमीटर के दर से हर ट्रिप में परिचालन शुल्क देना होगा।
तीर्थयात्रियों को मिलेगी सहूलियत
आईआरसीटीसी द्वारा चलाई जाने वाली भारत दर्शन ट्रेन अक्सर पैक होकर जाती हैं। तीनों मण्डलों के प्रमुख स्टेशनों से अच्छी संख्या में यात्री भारत दर्शन के लिए यात्री टिकट बुक कराते हैं। ऐसे में इस तरह की ट्रेनें चलने पर यात्री जब चाहेंगे तब आराम से यात्रा कर सकेंगे।
खुद तय कर सकेंगी ट्रैफिक और रूट
लीज अवधि कोचों की लाइफ तक बढ़ाई जा सकती है। अहम बात ये है कि इच्छुक पार्टी खुद बिजनेस मॉडल (मार्ग, यात्रा कार्यक्रम, टैरिफ आदि) का विकास या निर्णय करेगी।
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जानिए कैसे खत्म होंगे तीनों कृषि कानून : पीएम ने किया ऐलान, संसद की मुहर बाकी,

पीएम ने किया ऐलान, संसद की मुहर बाकी, जानिए कैसे खत्म होंगे तीनों कृषि कानून
लंबे समय तक विरोध झेलने के बाद मोदी सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया है। पीएम मोदी ने खुद शुक्रवार को इसकी घोषणा की। हालांकि, कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही रोक लगा रखी थी। लेकिन पीएम मोदी के ऐलान के बाद कानूनों को खत्म करने के लिए सरकार को संसद में एक बिल लाना पड़ेगा। संविधान विशेषज्ञों ने बताया कि सरकार को अभी क्या-क्या कदम उठाने होंगे।
खत्म होंगे तीनों कृषि कानून
पीएम मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया और कहा कि इसके लिए जरूरी संवैधानिक प्रक्रिया को संसद के शीतकालीन सत्र में समाप्त किया जाएगा। पूर्व लॉ सेक्रेटरी पी के मल्होत्रा ने बताया, ”वापसी के लिए, संसद की शक्ति कानून बनाने के समान ही है।” उन्होंने कहा कि सरकार को तीनों कानूनों को वापस लेने के लिए एक बिल लाना होगा। पूर्व लोकसभा सेक्रेटरी जनरल पीडीटी आचार्य ने कहा, ”कोई दूसरा रास्ता नहीं है।” एक सवाल के जवाब में आचार्य ने कहा कि सरकार एक ही विधेयक से तीनों कानून खत्म कर सकती है।
आचार्य ने कहा कि सरकार को उद्देश्य यह भी बताना होगा कि वह क्यों तीनों कानून वापस लेना चाहती है। मल्होत्रा ने कहा कानून की वापसी भी एक कानून है। उन्होंनने कहा कि कानून संसद से पास होता है और इस पर राष्ट्रपति हस्ताक्षर करते हैं, इसे वापस भी संसद से ही लिया जा सकता है।
राष्ट्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने जोर दिया कि कानून किसानों के हित में थे। साथ ही उन्होंने यह कहकर माफी भी मांगी कि किसानों को समझाने में असफल रहे। पीएम ने कहा, ”मैं आपको यह बताने आया हूं कि हमने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। इस महीने के अंत में शुरू हो रहे आगामी संसद सत्र में हम तीनों कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी करेंगे।”

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ट्रैक पर लौट रही देश की इकोनॉमी, त्योहारी सीजन में बूस्ट की उम्मीद

ट्रैक पर लौट रही देश की इकोनॉमी, त्योहारी सीजन में बूस्ट की उम्मीद The country’s economy is back on track, hope for a boost in the festive season
economy is back on track
उद्योग मंडल फिक्की के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 9.1 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। वहीं, फिच रेटिंग्स ने देश की जीडीपी ग्रोथ अनुमान को कम कर दिया है। हालांकि, फिच ने भी माना है कि देश की इकोनॉमी पटरी पर है।
त्योहारी सीजन का फायदा: फिक्की ने कहा कि महामारी की दूसरी लहर के बाद अब आर्थिक सुधार अपनी पकड़ मजबूत करता दिखाई दे रहा है। फिक्की के आर्थिक परिदृश्य सर्वेक्षण में यह भी कहा कि मौजूदा त्योहारी सत्र में रफ्तार को समर्थन मिलेगा। हालांकि उद्योग संघ ने आगाह किया कि दिवाली के दौरान लोगों की आवाजाही बढ़ने के चलते कोविड मामलों में वृद्धि हो सकती है।
उद्योग मंडल ने कहा, ‘‘फिक्की के आर्थिक परिदृश्य सर्वेक्षण के ताजा दौर में 2021-22 के लिए 9.1 प्रतिशत की वार्षिक औसत जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है। पिछले सर्वेक्षण (जुलाई 2021) में नौ प्रतिशत वृद्धि का अनुमान जताया गया था।’’ फिक्की ने कहा कि दूसरे हिस्से में मानसूनी बारिश में तेजी और खरीफ के रकबे में बढ़ोतरी से कृषि क्षेत्र की वृद्धि की उम्मीदें बरकरार हैं।
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भारत का दबाव कर गया काम, ब्रिटेन ने कोविशील्ड वैक्सीन को मान्यता दी

भारत का दबाव कर गया काम, ब्रिटेन ने कोविशील्ड वैक्सीन को मान्यता दी, मगर अब भी है यह पेच
भारत की ओर से बनाया दबाव काम कर गया है। ब्रिटेन ने आखिरकार सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के द्वारा बनाई कोरोना वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ को अपने नए यात्रा नियमों में मान्यता दे दी है लेकिन इसके साथ एक पेच भी फंसा दिया गया है। दरअसल, अभी भी ब्रिटेन जाने वाले भारतीयों को क्वारंटीन रहना अनिवार्य है। ब्रिटेन ने अपनी ट्रैवल पॉलिसी में बदलाव करते हुए कोविशील्ड को मंजूरी दे दी है लेकिन उसने भारत के वैक्सीन सर्टिफिकेट को मंजूरी नहीं दी है जिसके कारण जमीनी स्तर पर भारतीय यात्रियों के लिए कोई खास बदलाव नहीं होगा।
कोविशील्ड वैक्सीन को मान्यता
नई गाइडलाइंस के मुताबिक, एस्ट्राजेनेका कोविशील्ड, एस्ट्राजेनेका वजेवरिया और मॉडर्ना टकीडा के फॉर्मुलेशन को मान्यता दी गई है। हालांकि, कोविशील्ड की दोनों डोज लेने वाले यात्रियों को अभी भी 10 दिन क्वारंटीन रहना अनिवार्य है। ब्रिटेन सरकार ने कहा है कि वह वैक्सीन सर्टिफिकेट के मान्यता को लेकर भारत के साथ मिलकर काम कर रही है।
ऑक्सफोर्ड -एस्ट्राजेनेका की बनाई कोरोना वैक्सीन के फॉर्मूले से ही भारत में कोविशील्ड बनाई गई है। हालांकि, ब्रिटेन ने कोविड-19 यात्रा नियमों में बदलाव के बाद एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लेने वाले लोगों को क्वारंटीन से छूट दी लेकिन कोविशील्ड लेने वालों के लिए यह व्यवस्था नहीं थी, जिसकी वजह से विवाद बढ़ गया था। भारत सरकार ने भी मंगलवार को कहा था ब्रिटेन ने कोरोना वैक्सीन कोविशीलड को मान्यता नहीं देकर भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया है और अगर इसका कोई समाधान नहीं निकाला जाता है तो जवाबी कार्रवाई की जाएगी।
ब्रिटेन में मौजूदा ट्रैवल नियम क्या हैं?
ब्रिटेन की यात्रा के संबंध में फिलहाल लाल, एम्बर और हरे रंग की तीन अलग अलग सूचियां बनाई गई हैं। खतरे के अनुसार अलग-अलग देशों को अलग अलग सूची में रखा गया है। अगर कोई देश रेड लिस्ट में है तो उससे आने वाले यात्री को ब्रिटेन पहुंचने के बाद 10 दिन होटल में क्वारंटीन रहना जरूरी है और यह अवधि खत्म होने से 2 दिन पहले उसे कोरोना जांच भी करानी होती है। जिन लोगों ने टीके की दोनों खुराक ले ली है, उन्हें भी ये नियम मानने पड़ते हैं। क्वारंटीन नियम का उल्लंघन करने पर 10 हजार पाउंड की पेनल्टी तक चुकानी पड़ती है। इसके अलावा यदि कोई यात्री नेगेटिव आरटीपीसीआर टेस्ट के बिना ब्रिटेन पहुंचता है तो उसपर 5 हजार पाउंड का जुर्माना लगाया जा सकता है।
ब्रिटेन 4 अक्टूबर से बदलने जा रहा है नियम
ब्रिटेन ने ऐलान किया है कि चार अक्टूबर से अब उसकी सिर्फ एक रेड लिस्ट रहेगी यानी सभी सूचियों को मिला दिया जाएगा और केवल लाल सूची बाकी रहेगी। लाल सूची में शामिल देशों के यात्रियों को ब्रिटेन की यात्रा पर पाबंदियों का सामना करना पड़ेगा। जो देश रेड लिस्ट में नहीं होंगे, उनके लिए नियमों यात्री के वैक्सीनेशन स्टेटस पर निर्भर करेंगे।
भारत में अधिकांश लोगों को कोविशील्ड टीका ही लगा है। यह ब्रिटेन के एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का ही भारतीय वर्जन है। इसे भारत में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने बनाया है, इसके बावजूद भारत को सूची से बाहर रखा जाना भेदभावपूर्ण माना जा रहा था।
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खुशखबरी : रेलकर्मियों पर अगस्त में होगी धनवर्षा, वेतन के साथ इंक्रीमेंट व वर्दी भत्ता समेत बढ़कर मिलेगा एचआरए व डीए

खुशखबरी : रेलकर्मियों पर अगस्त में होगी धनवर्षा, वेतन के साथ इंक्रीमेंट व वर्दी भत्ता समेत बढ़कर मिलेगा एचआरए व डीए

central government employees

salary hike for central government employees

Railway Employees Salary Hike: टाटानगर समेत चक्रधरपुर मंडल के 23 हजार रेल कर्मचारियों पर अगस्त में रुपयों की बौछार होगी। रेलकर्मियों को अगस्त के वेतन के साथ 2020 से बकाया डीए के साथ बढ़कर एचआरए और वर्दी भत्ता मिलेगा। इसके अलावा वेतन राशि में वार्षिक बढ़ोतरी होगी।

रेलकर्मियों में बकाया डीए भुगतान और एचआरए का प्रतिशत 16 से 18 प्रतिशत होने से उत्साह है। जबकि वेतन राशि में प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। वहीं, डीए के कारण वेतन जून की वेतन की अपेक्षा 11 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। क्योंकि रेलवे में जुलाई से वेतन इंक्रीमेंट होता है। जबकि रेलकर्मियों को वर्दी भत्ता मद में प्रत्येक वर्ष 5 से 10 हजार रुपये ग्रेड के अनुसार मिलता है।

फेडरेशन की मांग मंजूर

नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवे और ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन रेलवे बोर्ड प्रत्येक बैठक में तीन किस्त बकाया डीए राशि (2020 जनवरी व जुलाई समेत जनवरी 2021) भुगतान करने व एचआरए राशि बढ़ाने की मांग उठा रही थी। इससे रेल कर्मचारियों को तीन तरह से आर्थिक लाभ हुआ है।

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सरकार की इस स्कीम से लाखों मध्यमवर्गीय परिवारों को मिला सस्ता घर

सरकार की इस स्कीम से लाखों मध्यमवर्गीय परिवारों को मिला ‘सस्ता घर’, आप न करें 5 गलतियां
आम इंसान का सस्ता घर उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार खास प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojana) चला रही है।
सरकार की इस स्कीम से लाखों मध्यमवर्गीय परिवारों को मिला सस्ता घर, न करें 5 गलतियां
PM Awas Yojana
आम इंसान का सस्ता घर उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार खास प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojana) चला रही है। केंद्र सरकार की इस योजना की अवधि इसी साल 31 मार्च को खत्म होने वाली थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल के बजट में इसे एक साल के लिए बढ़ा दिया है। इस स्कीम का फायदा 31 मार्च 2022 तक उठाया जा सकता है। ऐसे में आपके पास बहुत ही कम समय बचा है। यह स्कीम पहली बार घर खरीदने वालों को CLSS या क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी प्रदान करती है।
इस स्कीम का फायदा उठाते हुए आप 2.67 लाख रुपये तक की अधिकतम सब्सिडी पा सकते हैं। यदि आप इस छूट का फायदा उठाना चाहते हैं तो इससे पहले आप को कुछ बातों पर ध्यान देना होगा। यदि आपने अभी भी इसका लाभ नहीं लिया है तो इंडिया टीवी पैसा की टीम आपको आवेदन का तरीका, मिलने वाला लाभ और सभी शर्तों के बारे में बताने जा रही है।
लाभार्थी निम्न माध्यम से PMAY स्कीम के लिए अप्लाई कर सकते हैं:
ऑनलाइन: ऑनलाइन अप्लाई करने के लिए व्यक्ति स्कीम की ऑफिशियल वेबसाइट पर जा सकता है. अप्लाई करने के लिए उनके पास मान्य आधार कार्ड होना चाहिए।
ऑफलाइन: लाभार्थी कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के माध्यम से उपलब्ध फॉर्म भरकर स्कीम के लिए ऑफलाइन अप्लाई कर सकता है. इन फार्म का मूल्य रु. 25 + GST है।
जानिए कैसे करें आवेदन
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण योजना खासतौर पर ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों के लिए तैयार की गई है। इस योजना के लिए आवेदन करने के लिए सरकार ने मोबाइल आधारित आवास ऐप तैयार की है। आइए जानतें हैं एप के जरिए कैसे करें आवेदन –

  • गूगल प्ले स्टोर से प्रधानमंत्री आवास योजना की एप को डाउनलोड करें।
  • इसके बाद अपने मोबाइल नंबर की सहायता से इसमें रजिस्‍टर करें।
  • यह ऐप आपके मोबाइल नंबर पर एक वन टाइम पासवर्ड भेजेगा।
  • ओटीपी से लॉगिन करने के बाद आवश्यक जानकारियां भरें।
क्‍या मिलते हैं लाभ
प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) आपको अपना घर बनाने के लिए आर्थिक रूप से मदद करती है। पीएमएवाई-जी में आप छह लाख रुपये का लोन सालाना छह फीसदी तक की ब्याज दर पर ले सकते हैं। अगर आपको घर बनाने के लिए इससे ज्यादा रकम चाहिए तो आपको उस अतिरिक्त रकम पर आम ब्याज दर से लोन लेना होगा।
प्रधान मंत्री आवास योजना के लिए कौन पात्र है?

  • आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) – रु. 3 लाख तक की वार्षिक आय वाले परिवार.
  • निम्न आय वर्ग (LIG) – रु. 3 लाख से रु. 6 लाख तक की वार्षिक आय वाले परिवार.
  • मध्यम आय वर्ग I (MIG I) – रु. 6 लाख से रु. 12 लाख तक की वार्षिक आय वाले परिवार.
  • मध्यम आय वर्ग II (MIG II) – रु. 6 लाख से रु. 12 लाख तक की वार्षिक आय वाले परिवार.
  • महिलाएं जो EWS और LIG कैटेगरी से संबंधित हैं.
  • अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC).
क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम (CLSS)
  1. जो इस स्कीम के लिए पात्र हैं, उन्हें CLSS होम लोन की ब्याज़ दरों पर सब्सिडी प्रदान करता है।
इन 5 कारणों से अटकती है सब्सिडी

  1. आय सीमा में गलती : PMAY के तहत छूट का लाभ लेने के लिए आय की सीमा तीन लाख, छह लाख और 12 लाख रुपये तय की गई है। अगर कोई व्यक्ति की आय और घर की श्रेणी में अंतर पाया जाता है तो उसका सब्सिडी रुक जाता है। कोई व्यक्ति तीन लाख रुपये आय सीमा में आता है तो ईडब्ल्यूएस के तहत उसे 2.67 लाख की छूट मिलेगी। 6 लाख तक आय वाला व्यक्ति एलआईजी और 6-12 लाख तक आय वाला एमआईजी-1 और 12-18 लाख वाला एमआईजी-2 श्रेणी में आएगा।
  2. पहली बार खरीदा हो घर: PMAY के तहत छूट पाने के लिए अनिवार्य है कि वह पहली दफा घर खरीद रहा हो। यानी उसके नाम पर पहले से कोई घर नहीं हो।
  3. महिला हो सह मालिक : PMAY के तहत छूट पाने के लिए जरूरी है कि प्रॉपर्टी में महिला सह मालिक और सह-उधारकर्ता हो। इसके नहीं होने से सब्सिडी का लाभ नहीं मिलेगा।
  4. आधार और दस्तावेज पर नाम में अंतर: फॉर्म भरते समय गलतियां भी सब्सिडी पाने में देरी का एक और कारण हो सकता है।
  5. सरकारी एजेंसियों की देरी : वर्तमान में, कोरोना संकट के बीच जांच प्रक्रिया देरी होने से घर खरीदारों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है। हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (हुडको), नेशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी) और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया पीएमएवाई के तहत मिले आवेदन की छंटनी करता है।
कैसे देखें लिस्‍ट में अपना नाम

पीएमएवाई-जी के तहत घर पाने के लिए आवेदन करने के बाद केंद्र सरकार लाभार्थियों का चुनाव करती है। इसके बाद लाभार्थियों की फाइनल लिस्ट पीएमएवाई-जी की वेबसाइट पर डाल दी जाती है। अगर आपने भी प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) में होम लोन के लिए आवेदन किया है, तो आप पीएमएवाई ग्रामीण के लाभार्थियों की सूची में अपना नाम पता कर सकते हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के तहत होम लोन पाने वाले लाभार्थियों की सूची में अपना नाम चेक करने के लिए आपको पीएमएवाई की वेबसाइट https://pmaymis.gov.in/ पर जाना होगा। यहां आपको ऊपर के टैब में सर्च बेनिफिशियरी टैब पर जाना होगा। यहां आपको सर्च बाय नेम दिख जायेगा। इस पर क्लिक करें। इसके बाद यह पेज खुलेगा। इसमें अपना नाम लिखें। इसके बाद आपके सामने जो पेज खुलेगा उसमें इस नाम के सभी लोगों की सूची दिखेगी। आप अपने नाम पर क्लिक कर इस बारे में पूरी जानकारी ले सकते हैं।
Source: https://www.indiatv.in

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मोदी सरकार ने छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कटौती वापस ली, अब पीपीएफ और एनएससी पर इतना मिलेगा ब्याज

मोदी सरकार का यू-टर्न: छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कटौती वापस ली, अब पीपीएफ और एनएससी पर इतना मिलेगा ब्याज .U-turn of Modi government: Withdrawal of interest rates of small savings schemes, now PPF and NSC will get this much interest
                         Withdrawal of interest rates
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि सरकार पीपीएफ तथा एनएससी जैसी छोटी बचत योजनाओं में की गई बड़ी कटौती वापस लेगी और कहा कि ऐसा गलती से हो गया था। हालांकि, माना जा रहा है कि पश्चिम बंगाल, असम और तीन अन्य राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनावों में भाजपा को किसी नुकसान से बचाने के लिए ब्याज दरों में कटौती का निर्णय वापस लिया गया।
1.1 फीसद तक की कटौती की थी
छोटी बचत योजनाओं में निवेश करने वाले लोगों को झटका देते हुए सरकार ने बुधवार को लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) और एनएससी (राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र) समेत लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में 1.1 फीसद तक की कटौती की थी। इसके एक दिन बाद गुरुवार को यह फैसला उस समय वापस लेने का ऐलान किया गया, जब पश्चिम बंगाल में दूसरे चरण के मतदान हो रहे हैं। आज ही नंदीग्राम सीट पर भी मतदान है, जहां से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुनाव लड़ रही हैं।
सीतारमण ने बृहस्पतिवार सुबह ट्वीट किया, ”भारत सरकार की छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर वही रहेगी जो 2020-2021 की अंतिम तिमाही में थी, यानी जो दरें मार्च 2021 तक थीं। पहले दिया गया आदेश वापस लिया जाएगा।वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, पीपीएफ पर ब्याज 0.7 फीसद कम कर 6.4 फीसद जबकि एनएससी पर 0.9 फीसद कम कर 5.9 फीसद कर दी गयी थी। लघु बचत योजनाओं पर ब्याज तिमाही आधार पर अधिसूचित की जाती है।
पीपीएफ 7.1 फीसद इंटरेस्ट
ब्याज में सर्वाधिक 1.1 फीसद की कटौती एक साल की मियादी जमा राशि पर की गयी थी। इस पर ब्याज 5.5 फीसद से कम करके 4.4 फीसद करने का फैसला किया गया था। छोटी बचत योजनाओं के लिए ब्याज दरों को तिमाही आधार पर अधिसूचित किया जाता है। पुरानी दरें बहाल होने के बाद पीपीएफ और एनएससी पर क्रमश: 7.1 फीसद और 6.8 फीसद की दर से वार्षिक ब्याज मिलता रहेगा।
सुकन्या समृद्धि योजना के लिए 7.6 फीसद ब्याज
इस तरह सुकन्या समृद्धि योजना के लिए 7.6 फीसद ब्याज मिलता रहेगा, जबकि पहले इसे घटाकर 6.9 फीसद करने की बात कही गई थी। पांच वर्षीय वरिष्ठ नागरिक बचत योजना के लिए ब्याज दर 7.4 फीसद पर बरकरार रखी जाएगी। वरिष्ठ नागरिकों की योजना पर ब्याज का भुगतान त्रैमासिक आधार पर किया जाता है। बचत जमा पर ब्याज दर चार फीसद होगी, जबकि इसे घटाकर 3.5 फीसद करने का प्रस्ताव था।
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केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद आज लॉन्च करेंगे डिजिटल वोटर आईडी कार्ड

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद आज लॉन्च करेंगे डिजिटल वोटर आईडी कार्ड, जानें कैसे होगा इस्तेमाल ,Union Minister Ravi Shankar Prasad launched digital waiter ID card today
digital waiter ID card
केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद सोमवार को वोटर आईडी कार्ड का इलेक्ट्रोनिक वर्जन लॉन्च करने जा रहे हैं। जिसे मोबाइल फोन या किसी पर्सनल कम्प्यूटर पर डाउनलोड किया जा सकता है।

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ये इ-इलेक्टर फोटो पहचान पत्र नोन-एडिटेबल वर्जन में उपलब्ध होगा यानी इसे आप एडिट नहीं कर सकेंगे। इसे आप डिजिटल लॉकर जैसी जगहों पर रख सकेंगे. इलेक्शन कमिशन से मिली जानकारी के मुताबिक अगर आप इसका प्रिंट निकालकर रखना चाहें तो आप इसका पीडीएफ नर्जन भी निकाल सकते हैं। 
चुनाव आयोग ने अपने बयान में कहा, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद इ-इपिक प्रोग्राम लॉन्च करेंगे और पांच वोटर्स को इलेक्टर फोटो पहचान पत्र बांटेंगे।”
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बयान में कहा गया कि आम वोटर कार्ड प्रिंट होने में समय लगाते हैं और वोटर के पास पहुंचने में भई उन्हें टाइम लगता है। इसे लॉन्च करने के पीछे जो विचार है वो तेज डिलीवरी और डॉक्यमेंट तक आसान पहुंच के होना का है। 
आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस डिजिटल मोड में पहले से ही उपलब्ध हैं।1993 में आए इलेक्टर वोटर आईडी कार्ड पहचान औऱ पते दोनों के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। 

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सभी कर्जदारों को राहत: लोन मोरॉटोरियम का लाभ नहीं उठाने वालों को भी नहीं देना पड़ेगा ब्याज पर ब्याज

सभी कर्जदारों को राहत: लोन मोरॉटोरियम का लाभ नहीं उठाने वालों को भी नहीं देना पड़ेगा ब्याज पर ब्याज Benefits of loan morotorium
loan morotorium
छह महीने की किस्त स्थगन अवधि के दौरान चक्रवृद्धि ब्याज की माफी कर्जदारों की सबसे कमजोर श्रेणी तक सीमित होगी
बैंक से कर्ज लेने वाले आम लोगों और छोटे तथा मझोले कारोबारियों को बड़ी राहत देते हुए केंद्र ने शनिवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान घोषित किए गए किस्त स्थगन के तहत दो करोड़ रुपये तक के कर्ज के ब्याज पर ब्याज छह महीने के लिए नहीं लिया जाएगा। केंद्र ने कहा कि इस संबंध में सरकार अनुदान जारी करने के लिए संसद से उचित अधिकार मांगेगी। यह अनुदान सरकार द्वारा पहले घोषित किए गए गरीब कल्याण और आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु व मझोले उद्यमों)को दिए गए 3.7 लाख करोड़ रुपये और आवास ऋण के लिए दिए गए 70,0000 करोड़ रुपये के सहायता पैकेज के अतिरिक्त होगा।

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सभी कर्जदारों को राहत मिलेगी
भारत सरकार की तरफ से वित्त मंत्रालय द्वारा दिए गए एक हलफनामे में अदालत से कहा गया है कि किस्त स्थगन की अवधि के दौरान ब्याज पर ब्याज के संबंध में खास श्रेणियों में सभी कर्जदारों को राहत मिलेगी, चाहें उन्होंने किस्त स्थगन का लाभ उठाया हो या नहीं। हलफनामे में कहा गया, ”इसलिए, सरकार ने फैसला किया है कि छह महीने की किस्त स्थगन अवधि के दौरान चक्रवृद्धि ब्याज की माफी कर्जदारों की सबसे कमजोर श्रेणी तक सीमित होगी। कर्जदारों की इस श्रेणी के तहत दो करोड़ रुपये तक के एमएमएमई ऋण और व्यक्तिगत ऋण पर ब्याज पर ब्याज माफ किया जाएगा।
सरकार ने ऋणों को आठ श्रेणियों में बांटा है, जिनमें एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग), शिक्षा, आवास, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं, क्रेडिट कार्ड बकाया, ऑटो ऋण, व्यक्तिगत ऋण और उपभोग आधारित ऋण शामिल हैं। सरकार ने हलफनामे में आगे कहा है कि कोई भी व्यक्ति या संस्था,जिसकी ऋण राशि दो करोड़ रुपये से अधिक है, वह ब्याज पर ब्याज से छूट के लिए पात्र नहीं होगा। हलफनामे में कहा गया है कि समग्र परिस्थितियों पर ध्यानपूर्वक विचार करने के बाद और सभी संभावित विकल्पों का मूल्यांकन करने के बाद सरकार ने छोटे कर्जदारों की मदद करने की परंपरा को जारी रखने का फैसला किया है।
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इससे पहले कई पक्षों ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर 27 मार्च के आरबीआई के उस परिपत्र की वैधता को चुनौती दी गई थी, जिसमें उसने कर्ज देने वाले संस्थानों को एक मार्च 2020 से 31 मई 2020 के बीच ऋण की किस्तों के स्थगन की इजाजत दी थी। बाद में किस्त स्थगन की अवधि को 31 अगस्त तक बढ़ा दिया गया। इन याचिकाओं के जवाब में केंद्र ने यह हलफनामा दाखिल किया। इससे पहले इस मामले में सुनवाई के दौरान केंद्र ने शीर्ष अदालत से कहा था कि स्थगन अवधि के दौरान टाली गई किस्तों पर ब्याज माफी उन लोगों के मद्देनजर अनुचित होगी, जिन्होंने समय पर किस्तें चुकाई हैं। 
केंद्र ने ताजा हलफनामे में कहा कि चक्रवृद्धि ब्याज को माफ करने का वित्तीय बोझ बहुत अधिक होगा और बैंकों के लिए जमाकर्ताओं पर वित्तीय प्रभाव डाले बिना इस बोझ को वहन करना असंभव है, जो व्यापक राष्ट्रीय आर्थिक हित में भी नहीं होगा। हलाफनामे में कहा गया कि इन परिस्थितियों में एकमात्र समाधान यह है कि सरकार चक्रवृद्धि ब्याज की माफी से पड़ने वाले बोझ को वहन कर ले। इसमें कहा गया कि आरबीआई द्वारा विभिन्न परिपत्रों को जारी करते हुए यह स्पष्ट किया गया था कि किस्त स्थगन का अर्थ ब्याज की छूट नहीं था, बल्कि इसका अर्थ था- ब्याज को टालना। सरकार ने कहा कि कर्जदारों ने भी इस बात को समझा और अधिकांश ने किस्त स्थगन का लाभ नहीं लिया है, जो किस्तों के भुगतान को टालने के अलावा और कुछ नहीं है।
केंद्र सरकार ने कहा कि ऐसे कर्जदारों की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से अधिक होगी। इससे पहले केंद्र ने 28 सितंबर को उच्चतम न्यायालय से कहा था कि किस्त स्थगन के दौरान बैंकों के ब्याज पर ब्याज लेने के बारे में 2-3 दिन में फैसला कर लिया जाएगा। इस संबंध में शीर्ष न्यायालय ने केंद्र से निर्णय को रिकॉर्ड में लाने और संबंधित पक्षकारों को हलफनामा देने को कहा था। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले में पांच अक्टूबर को सुनवाई करेगी। पीठ में न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायामूर्ति एम आर शाह भी शामिल हैं।

Source : pib

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राज्यसभा में पारित हुए दो कृषि बिल,क्या है इसका फायदा और क्यों हो रहा है विरोध!

राज्यसभा में पारित हुए दो कृषि बिल,क्या है इसका फायदा और क्यों हो रहा है विरोध! Two agricultural bills passed in Rajya Sabha, what is the benefit of this and why there is protest!
Two agricultural bills passed
पहले लोकसभा में पारित होने के बाद अब दो कृषि बिल भारी हंगामें के बीच राज्यसभा में भी पारित हो गए हैं। किसानों को इससे फायदा होगा, लेकिन राज्यों को इससे नुकसान होता दिख रहा है। ऐसे में इसके लेकर काफी विरोध भी हो रहा है।
भारी हंगामे के बीच राज्यसभा में दो कृषि विधेयकों को पारित कर दिया गया है। इसमें दो बिल हैं, पहला है कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020 (The Farmers’ Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill, 2020) और दूसरा है कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020। प्रस्तावित कानून का उद्देश्य किसानों को अपने उत्पाद नोटिफाइड ऐग्रिकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (APMC) यानी तय मंडियों से बाहर बेचने की छूट देना है। इसका लक्ष्य किसानों को उनकी उपज के लिये प्रतिस्पर्धी वैकल्पिक व्यापार माध्यमों से लाभकारी मूल्य उपलब्ध कराना है। इस कानून के तहत किसानों से उनकी उपज की बिक्री पर कोई सेस या फीस नहीं ली जाएगी।
क्या होगा फायदा?
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यह किसानों के लिये नये विकल्प उपलब्ध करायेगा। उनकी उपज बेचने पर आने वाली लागत को कम करेगा, उन्हें बेहतर मूल्य दिलाने में मदद करेगा। इससे जहां ज्यादा उत्पादन हुआ है उन क्षेत्र के किसान कमी वाले दूसरे प्रदेशों में अपनी कृषि उपज बेचकर बेहतर दाम प्राप्त कर सकेंगे। यानी कि इससे देश के सभी किसानों को पहले की तुलना में अधिक फायदा होगा।
आखिर विरोध क्यों?
यदि किसान अपनी उपज को पंजीकृत कृषि उपज मंडी समिति (APMC/Registered Agricultural Produce Market Committee) के बाहर बेचते हैं, तो राज्यों को राजस्व का नुकसान होगा क्योंकि वे ‘मंडी शुल्क’ प्राप्त नहीं कर पायेंगे। यदि पूरा कृषि व्यापार मंडियों से बाहर चला जाता है, तो कमीशन एजेंट बेहाल होंगे। लेकिन, इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है, किसानों और विपक्षी दलों को यह डर है कि इससे अंततः न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) आधारित खरीद प्रणाली का अंत हो सकता है और निजी कंपनियों द्वारा शोषण बढ़ सकता है।
किसान अनुबंध विधेयक 2020
कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill, 2020): इस प्रस्तावित कानून के तहत किसानों को उनके होने वाले कृषि उत्पादों को पहले से तय दाम पर बेचने के लिये कृषि व्यवसायी फर्मों, प्रोसेसर, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों या बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथ अनुबंध करने का अधिकार मिलेगा।
इस बिल से क्या होगा फायदा?
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इससे किसान का अपनी फसल को लेकर जो जोखिम रहता है वह उसके उस खरीदार की तरफ जायेगा जिसके साथ उसने अनुबंध किया है। उन्हें आधुनिक तकनीक और बेहतर इनपुट तक पहुंच देने के अलावा, यह विपणन लागत को कम करके किसान की आय को बढ़ावा देता है।
तो फिर क्यों हो रहा है विरोध?
किसान संगठनों और विपक्षी दलों का कहना है कि इस कानून को भारतीय खाद्य व कृषि व्यवसाय पर हावी होने की इच्छा रखने वाले बड़े उद्योगपतियों के अनुरूप बनाया गया है। यह किसानों की मोल-तोल करने की शक्ति को कमजोर करेगा। इसके अलावा, बड़ी निजी कंपनियों, निर्यातकों, थोक विक्रेताओं और प्रोसेसर को इससे कृषि क्षेत्र में बढ़त मिल सकती है।
Source : https://www.livehindustan.com

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जानिए सरकार ने आम लोगों और कंपनियों के लिए कौन-कौन से टैक्स सुधार किए

 जानिए सरकार ने आम लोगों और कंपनियों के लिए कौन-कौन से टैक्स सुधार किए Know what tax reforms the government has done for common people and companies

       tax reforms

केंद्र की मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में टैक्स सुधारों को लेकर कई कदम उठाए है. पिछले साल कॉरपोरेट टैक्‍स (Corporate Tax) की दर 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी कर दी गई थी. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि टैक्‍स रिफॉर्म्‍स के तहत दरों (tax Rates) में कमी करने और प्रत्यक्ष टैक्स कानूनों को आसान बनाने पर सरकार का जोर रहा है. आयकर विभाग के काम में दक्षता और पारदर्शिता लाने के लिए भी केंद्रीय प्रत्‍यक्ष कर बोर्ड (CBDT) की ओर से कई पहल की गई हैं.

1/ 5 केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने हाल के वर्षों में प्रत्यक्ष करों में कई बड़े टैक्‍स सुधार लागू किए हैं. पिछले वर्ष कॉरपोरेट टैक्स की दर को 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी कर दिया गया. साथ ही नई विनिर्माण इकाइयों के लिए इस दर को और भी अधिक घटाकर 15 फीसदी कर दिया गया. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने हाल के वर्षों में प्रत्यक्ष करों में कई बड़े टैक्‍स सुधार लागू किए हैं. पिछले वर्ष कॉरपोरेट टैक्स की दर को 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी कर दिया गया. साथ ही नई विनिर्माण इकाइयों के लिए इस दर को और भी अधिक घटाकर 15 फीसदी कर दिया गया.

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने हाल के वर्षों में प्रत्यक्ष करों में कई बड़े टैक्‍स सुधार लागू किए हैं. पिछले वर्ष कॉरपोरेट टैक्स की दर को 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी कर दिया गया. साथ ही नई विनिर्माण इकाइयों के लिए इस दर को और भी अधिक घटाकर 15 फीसदी कर दिया गया.

2/ 5 इनकम टैक्‍स के कामकाज में दक्षता और पारदर्शिता लाने के लिए भी सीबीडीटी ने कई पहल की हैं. लंबित कर विवादों का समाधान प्रदान करने के उद्देश्य से विभाग ने प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास अधिनियम, 2020 पेश किया है. इसके तहत वर्तमान में विवादों को निपटाने के लिए डेक्‍लेरेशन दाखिल किए जा रहे हैं. इनकम टैक्‍स के कामकाज में दक्षता और पारदर्शिता लाने के लिए भी सीबीडीटी ने कई पहल की हैं. लंबित कर विवादों का समाधान प्रदान करने के उद्देश्य से विभाग ने प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास अधिनियम, 2020 पेश किया है. इसके तहत वर्तमान में विवादों को निपटाने के लिए डेक्‍लेरेशन दाखिल किए जा रहे हैं.

इनकम टैक्‍स के कामकाज में दक्षता और पारदर्शिता लाने के लिए भी सीबीडीटी ने कई पहल की हैं. लंबित कर विवादों का समाधान प्रदान करने के उद्देश्य से विभाग ने प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास अधिनियम, 2020 पेश किया है. इसके तहत वर्तमान में विवादों को निपटाने के लिए डेक्‍लेरेशन दाखिल किए जा रहे हैं.

3/ 5 डिविडेंड डिस्‍ट्रीब्‍यूशन टैक्‍स को हटाया गया. 1 फरवरी 2020 को पेश किए बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister of India) ने डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (Dividend Distribution Tax) हटा दिया गया है. मौजूदा वित्त वर्ष में टैक्स का नियम पूरी तरह से बदल गया है. अब कंपनियों को डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स नहीं देना है. इसे बजट में हटा दिया गया है. लेकिन अब ये टैक्स आपसे वसूला जाएगा. अगर आसान शब्दों में कहें तो ये आपकी कुल आमदनी में जुड़ जाएगा. फिर उस पर स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा. डिविडेंड डिस्‍ट्रीब्‍यूशन टैक्‍स को हटाया गया. 1 फरवरी 2020 को पेश किए बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister of India) ने डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (Dividend Distribution Tax) हटा दिया गया है. मौजूदा वित्त वर्ष में टैक्स का नियम पूरी तरह से बदल गया है. अब कंपनियों को डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स नहीं देना है. इसे बजट में हटा दिया गया है. लेकिन अब ये टैक्स आपसे वसूला जाएगा. अगर आसान शब्दों में कहें तो ये आपकी कुल आमदनी में जुड़ जाएगा. फिर उस पर स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा.

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डिविडेंड डिस्‍ट्रीब्‍यूशन टैक्‍स को हटाया गया. 1 फरवरी 2020 को पेश किए बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister of India) ने डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (Dividend Distribution Tax) हटा दिया गया है. मौजूदा वित्त वर्ष में टैक्स का नियम पूरी तरह से बदल गया है. अब कंपनियों को डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स नहीं देना है. इसे बजट में हटा दिया गया है. लेकिन अब ये टैक्स आपसे वसूला जाएगा. अगर आसान शब्दों में कहें तो ये आपकी कुल आमदनी में जुड़ जाएगा. फिर उस पर स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा.

4/ 5 महामारी के बीच टैक्सपेयर्स को कुछ राहत देने के लिए , केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes) ने हाल ही में वित्तीय वर्ष 19 के लिए आयकर रिटर्न (Income Tax Return) दाखिल करने की समय सीमा बढ़ा दी है. जिन लोगों ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए अपना आईटीआर दाखिल नहीं किया है, वे अब ऐसा सितंबर 2020 तक ऑनलाइन कर सकते हैं. ध्यान दें कि इससे पहले, सरकार ने पहले ही कई मौकों पर वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए एक आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की समय सीमा बढ़ा दी थी. पहला, ओरिजनल समय सीमा 31 मार्च 2020 से 30 जून और फिर 31 जुलाई 2020 तक. टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स ई-फाइलिंग वेबसाइट के माध्यम से अपना रिटर्न ऑनलाइन दर्ज कर सकते हैं. महामारी के बीच टैक्सपेयर्स को कुछ राहत देने के लिए , केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes) ने हाल ही में वित्तीय वर्ष 19 के लिए आयकर रिटर्न (Income Tax Return) दाखिल करने की समय सीमा बढ़ा दी है. जिन लोगों ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए अपना आईटीआर दाखिल नहीं किया है, वे अब ऐसा सितंबर 2020 तक ऑनलाइन कर सकते हैं. ध्यान दें कि इससे पहले, सरकार ने पहले ही कई मौकों पर वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए एक आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की समय सीमा बढ़ा दी थी. पहला, ओरिजनल समय सीमा 31 मार्च 2020 से 30 जून और फिर 31 जुलाई 2020 तक. टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स ई-फाइलिंग वेबसाइट के माध्यम से अपना रिटर्न ऑनलाइन दर्ज कर सकते हैं.

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महामारी के बीच टैक्सपेयर्स को कुछ राहत देने के लिए , केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes) ने हाल ही में वित्तीय वर्ष 19 के लिए आयकर रिटर्न (Income Tax Return) दाखिल करने की समय सीमा बढ़ा दी है. जिन लोगों ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए अपना आईटीआर दाखिल नहीं किया है, वे अब ऐसा सितंबर 2020 तक ऑनलाइन कर सकते हैं. ध्यान दें कि इससे पहले, सरकार ने पहले ही कई मौकों पर वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए एक आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की समय सीमा बढ़ा दी थी. पहला, ओरिजनल समय सीमा 31 मार्च 2020 से 30 जून और फिर 31 जुलाई 2020 तक. टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स ई-फाइलिंग वेबसाइट के माध्यम से अपना रिटर्न ऑनलाइन दर्ज कर सकते हैं.

5/ 5 कोरोनावायरस महामारी के कारण टैक्सपेयर्स को राहत देते हुए CBDT ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने की आखिरी तारीख 30 नवंबर 2020 निर्धारित की है. कोरोनावायरस महामारी के कारण टैक्सपेयर्स को राहत देते हुए CBDT ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने की आखिरी तारीख 30 नवंबर 2020 निर्धारित की है.

कोरोनावायरस महामारी के कारण टैक्सपेयर्स को राहत देते हुए CBDT ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने की आखिरी तारीख 30 नवंबर 2020 निर्धारित की है.

Source: https://hindi.news18.com
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ई-वाणिज्य मंच पर उत्पादों के देश का नाम बताने के लिए जनहित याचिका, अदालत ने केंद्र से मांगी राय

ई-कॉमर्स साइट पर उत्पाद कहां बना, उस देश का नाम बताने के लिए हाई कोर्ट की नोटिस  High court notice to name the country where the product was made on the e-commerce site
High court notice
ई-वाणिज्य मंच पर उत्पादों के देश का नाम बताने के लिए जनहित याचिका, अदालत ने केंद्र से मांगी राय
ई-कॉमर्स वेबसाइट पर बेचे जाने वाले उत्पादों को किस देश में बनाया गया है, इसकी जानकारी देने के लिए दायर जनहित याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र से राय मांगी है। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने केंद्र और ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों अमेजन, फ्लिपकार्ट और स्नैपडील को नोटिस जारी कर 22 जुलाई तक याचिका पर अपना पक्ष रखने के लिए कहा है। केंद्र सरकार के स्थायी वकील अजय दिग्पाल ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की ओर से नोटिस स्वीकार किया।
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केंद्र सरकार के स्थायी वकील अजय दिग्पाल ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की ओर से नोटिस स्वीकार किया। जनहित याचिका में एक वकील ने लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट 2009 को लागू करने और इसके तहत उन नियमों को लागू करने की मांग की, जिनके अनुसार ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर बेचे जा रहे उत्पादों पर, उन्हें किस देश में बनाया गया है, इसका उल्लेख करना जरूरी है। 
जनहित याचिका में एक वकील ने विधिक मापविज्ञान अधिनियम-2009 के तहत उन नियमों को लागू करने की मांग की, जिनके मुताबिक ई-वाणिज्य मंचों पर बेचे जाने वाले उत्पादों पर उनका उत्पादन करने वाले मूल देश का उल्लेख करना जरूरी है। याचिका में दावा किया गया है कि ई-वाणिज्य मंचों के संबंध में इस आदेश को लागू नहीं किया गया। याचिका में कहा गया कि केंद्र सरकार ने भारतीय वस्तुओं को बढ़ावा देने और खरीदने की अपील की है। ऐसे में जरूरी है कि इस आदेश को लागू किया जाए। 
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याचिकाकर्ता ने सुनवाई के दौरान कहा कि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) ने एक अधिसूचना जारी कर विक्रेताओं के लिए नए उत्पादों का पंजीकरण करते समय मूल देश का नाम बताना अनिवार्य कर दिया है। उन्होंने बताया कि ऐसा ‘मेक इन इंडिया और ‘आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। 
उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान कहा कि विक्रेताओं ने अधिसूचना जारी होने से पहले अपने उत्पादों को अपलोड किया है, उनसे मूल देश की जानकारी अपडेट करने के लिए कहा जा रहा है, और ऐसा नहीं करने पर उनके उत्पादों को जीईएम से हटा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि जीईएम ने अपने पोर्टल में ‘मेक इन इंडिया फिल्टर को भी जोड़ा है।
Source: https://www.livehindustan.com
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पीएम किसान सम्मान निधि का पैसा मिलेगा या नहीं, जानने का ये है सबसे आसान तरीका

पीएम किसान सम्मान निधि का पैसा मिलेगा या नहीं, जानने का ये है सबसे आसान तरीका This is the easiest way to know whether you will get money from PM Kisan Samman Nidhi
PM Kisan Samman Nidhi
पीएम किसान सम्मान निधि के तहत अगर आपने आवेदन किया है और आपको अब तक कोई किस्त नहीं मिली है तो आप कहीं और चक्कर लगाने के बजाए बस एक कॉल के जरिए पता कर सकते हैं कि आपको पैसा मिलेगा या नहीं। बता दें लॉकडाउन के दौरान पीएम किसान स्कीम की पांचवीं और इस वित्तवर्ष की पहली किस्त के रूप में 2000 रुपये किसानों के खाते में आ चुके हैं। योजना की छठी और इस साल की दूसरी किस्त की लिस्ट तैयार है और संभवत: 1 अगस्त से आनी शुरू हो जाएगी। अगर आप जानना चाहते हैं कि पीएम किसान सम्मान निधि किस्त क्यों नहीं आ रही है तो आप अपने रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से 01124300606 पर कॉल करें।
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दरअसल पात्र होने के बावजूद अगर आपको पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ नहीं मिल पाया है तो हो सकता है कि आपके आधार कार्ड या बैंक अकाउंट और अन्य कागजातों में नाम की स्पेलिंग में अंतर है। अगर आप भी इस छोटी गलती के कारण अभी तक इस योजना के लाभ से वंचित हैं तो इन आसान स्टेप के जरिए उसे ठीक कर योजना का लाभ उठाएं..
PM-Kisan Scheme की ऑफिशियल वेबसाइट (https://pmkisan.gov.in/) पर जाएं। इसके फार्मर कॉर्नर के अंदर जाकर Edit Aadhaar Details ऑप्शन पर क्लिक करें।
आप यहां पर अपना आधार नंबर दर्ज करें। इसके बाद एक कैप्चा कोड डालकर सबमिट करें।
अगर आपका केवल नाम गलत होता है यानी कि अप्लीकेशन और आधार में जो आपका नाम है दोनों अलग-अलग है तो आप इसे ऑनलाइन ठीक कर सकते हैं।
अगर कोई और गलती है तो इसे आप अपने लेखपाल और कृषि विभाग कार्यालय में संपर्क करें
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बता दें पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को मोदी सरकार तीन समान किस्तों में 6000 रुपये देती है। इसके तहत 8 जून तक 9 करोड़ 83 लाख किसानों को 6000 रुपये सहायता वाली स्कीम का लाभ मिल चुका है।
पीएमम किसान सम्मान निधि स्कीम मोदी सरकार ने 24 फरवरी 2019 को शुरू किया था और यह एक दिसंबर 2018 से ही प्रभावित हो गया था। इस स्कीम के तहत सरकार छोटे किसानों को हर साल 6000 रुपये तीन किस्तों में देती है। पहली किस्त एक दिसंबर से 31 मार्च के बीच आती है। दूसरी किस्त एक अप्रैल से 31 जुलाई और तीसरी किस्त एक अगस्त से 30 नवंबर तक किसानों के खाते में डायरेक्ट ट्रांसफर कर दी जाती है। 
Source : https://www.livehindustan.com

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लॉकडाउन में छूट के साथ कल से शुरू हो रहे हैंं कई काम, जानें हर जोन के नियम

लॉकडाउन में छूट के साथ कल से शुरू हो रहे हैंं कई काम, जानें हर जोन के नियम With the relaxation of lockdown, many jobs are starting from tomorrow, learn the rules of every zone

relaxation+of+lockdown
राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के सोमवार से शुरू हो रहे तीसरे चरण में और अधिक छूट दी जाएगी, लेकिन निषिद्ध क्षेत्रों में पाबंदियां जारी रहेंगी ताकि कोविड-19 के खिलाफ अब तक हासिल की गई उपलब्धियां बेकार न हो जाएं। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे के आधार पर पूरे देश को तीन कैटगरी में बांटा गया है- ‘रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन। लॉकडाउन 3.0 चार मई से लेकर 17 मई तक है। देश में 25 मार्च से लागू लॉकडाउन का पहला चरण 14 अप्रैल तक था, जिसे बाद में बढ़ा कर तीन मई तक कर दिया गया था। 
केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक चाहे कोई भी जोन हो, वहां हवाई, रेल, मेट्रो यात्रा, सड़क मार्ग से अंतर-राज्यीय आवागमन, स्कूल, कॉलेज और अन्य शैक्षणिक संस्थान, प्रशिक्षण एवं कोचिंग संस्थान, होटल एवं रेस्तरां सहित आतिथ्य सत्कार सेवाएं बंद रहेंगी।सार्वजनिक रूप से एकत्र होने के स्थान जैसे- जिम, थियेटर, मॉल, सिनेमा हॉल, बार बंद रहेंगे और धार्मिक, सामाजिक तथा राजनीतिक सभाएं करने की अनुमति नहीं होंगी।

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निषिद्ध क्षेत्रों को छोड़ सभी जोन में आवाजाही की इजाजत

हालांकि, निषिद्ध क्षेत्रों को छोड़कर सभी जोन में गैर-आवश्यक गतिविधियों के लिए लोगों की आवाजाही की इजाजत होगी, लेकिन यह शाम 7 बजे से सुबह सात बजे तक सख्ती होगी। ग्रीन और ऑरेंज जोन में नाई की दुकान, स्पा और सैलून खोले जाने की इजाजत होगी। साथ ही, ई-कॉमर्स कंपनियां भी गैर-आवश्यक वस्तुएं बेच सकती हैं। 
निषिद्ध क्षेत्रों, मोहल्ले की इकलौती दुकान, बाजार या मॉल को छोड़ कर शराब की बिक्री की कुछ शर्तों के साथ सभी जोन में इजाजत होगी। सभी जोन में 65 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति, गर्भवती महिलाएं और 10 साल से कम उम्र के बच्चे आवश्यक एवं स्वास्थ्य उद्देश्यों को छोड़ कर घरों के अंदर ही रहेंगे।
कुछ चयनित उद्देश्यों के लिये विमान, रेल और सड़क मार्ग से लोगों की आवाजाही की इजाजत होगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा इजाजत प्राप्त उद्देश्यों के लिये भी आवाजाही की इजाजत होगी। निषिद्ध क्षेत्रों में लोगों की आवाजाही पूरी तरह से प्रतिबंधित होगी और आवश्यक सेवाएं उनके घर पर पही उपलब्ध कराई जाएंगी। 
सभी माल परिवहन की इजाजत
जिन गतिविधियों को इजाजत प्राप्त है उनमें शामिल हैं- सभी जोन में लोगों के बीच दूरी बनाए रखते हुए और अन्य एहतियातों के साथ बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) और मेडिकल क्लीनिक। हालांकि, निषिद्ध क्षेत्रों में इसकी इजाजत नहीं होगी। सभी माल परिवहन की इजाजत होगी और कोई राज्य या केंद्र शासित प्रदेश पड़ोसी देशों के साथ हुई संधियों के तहत जमीनी सीमा से माल ढुलाई को नहीं रोकेगा।

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रेड जोन में (निषिद्ध क्षेत्रों के बाहर), कुछ अतिरिक्त गतिविधियों पर पाबंदी होगी जैसे- रिक्शा और ऑटो रिक्शा, टैक्सी और कैब सेवाएं, अंत-जिला एवं अंतर-जिला बसें, नाई की दुकान, स्पा और सैलून। पाबंदियों के साथ रेड जोन में कुछ अन्य गतिविधियों की भी इजाजत होगी, लोगों की आवाजाही और इजाजत प्राप्त गतिविधियों के लिए वाहन- चार पहिया वाहन में चालक के अलावा अधिकतम दो व्यक्ति, दो पहिया वाहन पर पीछे कोई व्यक्ति नहीं बैठा हो। 
रेड जोन में, ई कॉमर्स कंपनियों को सिर्फ आवश्यक वस्तुएं बेचने की इजाजत होगी। नाई की दुकान और सैलून खोलने की इजाजत नहीं होगी। शराब की सभी दुकानों में, ग्राहकों के बीच कम से कम छह फुट (दो गज) की दूरी रखनी होगी और एक समय पर पांच से अधिक लोग नहीं होंगे। 
रेड जोन में घरेलू सहायक/सहायिका के विषय पर, रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) को फैसला करना है कि बाहरी लोगों को इजाजत दी जाएगी या नहीं। यदि आरडब्ल्यूए इजाजत देते हैं तो घरेलू सहायक/सहायिका और नियोक्ता को स्वास्थ्य से जुड़े नियमों का पालन करना होगा तथा यदि कुछ अनिष्ट हुआ, तो इसकी जिम्मेदारी उस व्यक्ति की होगी जिसने उसे रखा है। 
विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड), निर्यात उन्मुखी इकाइयां (ईओयू), औद्योगिक एस्टेट और औद्योगिक टॉउनशिप में निषिद्ध क्षेत्र को छोड़ कर सभी क्षेत्रों को संचालित होने की इजाजत होगी। रेड जोन में निजी कार्यालय में 33 प्रतिशत तक कर्मचारी हो सकते हैं, जबकि शेष कर्मचारी घर से काम करेंगे। 
ऑरेंज जोन में रेड जोन में इजाजत प्राप्त सभी गतिविधियां (निषिद्ध क्षेत्र के बाहर) और टैक्सी एवं कैब सेवाएं (चालक के अलावा सिर्फ दो यात्री) की इजाजत होगी। इजाजत प्राप्त गतिविधियों के लिये लोगों की अंतर-जिला गतिविधियां, चार पहिया वाहन में चालक के अलावा दो यात्री, दोपहिया वाहन पर पीछे भी बैठने की इजाजत होगी। हालांकि, बसों की अंतर एवं अंत: जिला गतिविधियों गृह मंत्रालय से इजाजत प्राप्त गतिविधियों को छोड़ कर प्रतिबंधित होंगी। 
ग्रीन जोन में सभी गतिविधियों की इजाजत होगी, सिवाय देश भर में निषिद्ध गतिविधियों को छोड़ कर। हालांकि, बसें 50 फीसदी सीटों पर यात्री के साथ ही चल सकती हैं। ‘रेड, ‘ओरेंज और ‘ग्रीन जोनों का वर्गीकरण कोविड-19 के खतरे के आधार पर किया गया है।किसी जिले को ‘ग्रीन जोन समझा जायेगा, यदि वहां अब तक या पिछले 21 दिन में कोविड-19 का कोई मामला सामने नहीं आया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार शुक्रवार तक देश में 130 ‘रेड जोन हैं। ये सबसे अधिक 19 उत्तर प्रदेश में है। इसके बाद महाराष्ट्र (14) का स्थान है। ‘ओरेंज जोन’ की संख्या 284 और ‘ग्रीन जोन की संख्या 319 है। राष्ट्रीय राजधानी में सभी जिलों को ‘रेड जोन के तहत रखा गया है।
रेड जोन के बाहर निषिद्ध क्षेत्रों में (पाबंदियों के साथ) जिन चीजों की अनुमति हैं, वे इस प्रकार है:
शहरी क्षेत्र: शहरी इलाकों में दवा, चिकित्सा उपकरण आदि जैसी आवश्यक वस्तुओं का विनिर्माण और इनकी आपूर्ति, आईटी हार्डवेयर, जूट उद्योग, निर्माण (बशर्ते श्रमिक कार्य स्थल पर रहते हो)।
ग्रामीण क्षेत्रों में जिन गतिविधियों की अनुमति दी गई है, वे इस प्रकार है:
सभी औद्योगिक और निर्माण गतिविधियां, शॉपिंग मॉल को छोड़ कर सभी दुकानें, सभी कृषि, पशुपालन और वृक्षारोपण गतिविधियां, स्वास्थ्य सेवाएं, बैंकों समेत वित्तीय सेक्टर, कूरियर और डाक सेवाएं, प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, आईटी, आईटीईएस आदि की अनुमति दी गई है। हालांकि, राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की सरकारें/प्रशासन अपने आकलन के आधार पर कुछ पाबंदियां लगा सकते हैं।

Source https://www.livehindustan.com


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प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण सूची। ऐसे देखे लिस्ट में अपना नाम ?

प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण सूची। ऐसे देखे लिस्ट में अपना नाम ?
 इस पोस्ट से सम्बंधित कुछ मुख्य बातें। 
  • प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना लिस्ट 2019 20
  • प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन कैसे करें
  • मोबाइल एप्लीकेशन कैसे डाउनलोड करें और लिस्ट कैसे चेक करें ।
  • Gram sambad Application से कौन-कौन सरकारी योजना की जानकारी है
  • प्रधान मंत्री आवास योजना ग्रामीण और शहरी लिस्ट (pmay सूची) कैसे देख। PMAY List 2019, Pradhan Mantri Awas Yojana List in Hindi, Rural & Urban List

प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना लिस्ट।

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अगर आपने प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के लिए आवेदन किया था और आप अपने नाम को चेक करना चाहते हैं तो आज हम आपको इसकी संपूर्ण प्रक्रिया बताने वाले हैं इसको अपनाकर आप बहुत ही आसानी से प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण की सूची PMAY-G List को देख सकते हैं ।
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना की सूची को देखने के लिए आप बहुत सारे तरीके अपनाते हैं या बहुत सारे लोग आपको बहुत सारे तरीके बताते हैं लेकिन आज हम आपको एक ऐसे एप्लीकेशन के बारे में बताने वाले हैं जो सरकार के द्वारा जारी किया गया है जिसके माध्यम से आप ग्रामीण आवास योजना के लिस्ट (PMAY-G List) को बहुत ही आसानी से देख सकते हैं ।
हम जिस एप्लीकेशन की बात कर रहे हैं वह भारत सरकार के द्वारा ही जारी किया गया है इसमें आपको 100% सही और सटीक जानकारी दिखेगी अगर आपका नाम इस एप्लीकेशन में दिख जाता है तो बहुत अच्छा अगर नहीं दिखता है तो आप प्रधानमंत्री आवास योजना में अपने नाम को जुड़वाने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हो ।
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण सूची ( PMAY-G LIST ) , मोबाइल एप्लीकेशन कैसे डाउनलोड करें और लिस्ट कैसे चेक करें ।
अगर आप प्रधानमंत्री आवास योजना में अपना नाम को देखना चाहते हैं तो इसके लिए आपको ऑफिशियल एप्लीकेशन डाउनलोड करना होगा ।
  • एप्लीकेशन डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें Download Awas Yojana App
  • एप्लीकेशन डाउनलोड करते ही आपसे कुछ परमीशंस मांगे जाएंगे आपको सभी परमिशन Grant यानी कि Allow कर देना है ।
  • यहां पर आप अपना मोबाइल नंबर दर्ज कर अपने आप को रजिस्टर्ड कर सकते हैं या फिर आप लिस्ट (PMAY-G List) की जानकारी Login As a Guest के माध्यम से देख सकते हैं ।
  • अब आपको यहां पर अपना लोकेशन देना होगा जैसे कि सबसे पहले अपना राज्य का चयन करना होगा , राज्य का चयन होते ही आपको अपना जिला उसके बाद अपना ब्लॉक फिर अपने पंचायत की जानकारी देनी होगी जैसे ही आप यह जानकारी देंगे आपके सामने कुछ ऐसा इंटरफ़ेस खुलकर आ जाएगा जो हमने आपको नीचे दिखाया है ।
  • अब आप यहां से प्रधानमंत्री आवास योजना की जानकारी निकाल सकते हैं , आपको अपने पंचायत के अनुसार किस अधिकारी से संपर्क करनी है उसकी जानकारी आप निकाल सकते हैं या फिर आप प्रधानमंत्री आवास योजना लिस्ट की जानकारी निकाल सकते हैं ।
  • लिस्ट (PMAY-G List) देखने के लिए आपको स्टैटिक्स पर क्लिक करना होगा और आपके सामने लिस्ट की जानकारी आ जाएगी ।
  • इस एप्लीकेशन की बदौलत आप सारी जानकारी निकाल पाएंगे कि प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आपके पंचायत से कितने लोगों ने आवेदन किया, इनमें से कितने लोगों को घर बनाने हेतु राशि दी जाएगी । कितने लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत पहली किस्त भेज दी गई है , कितने लोगों को दूसरी किस्त की रकम भेज दी गई है , और तो और आप यह भी पता लगा सकते हैं कि कितने लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत तीसरी किस्त की रकम भेज दी गई है ।
  • इस एप्लीकेशन की बदौलत यह भी देखा जा सकता है कि सरकार के द्वारा कितने लोगों को पैसा भेजा गया और कितने लोगों ने अपना घर बनवा कर तैयार किया ।

इस एप्लीकेशन में और क्या है ?

इस अधिकारी के एप्लीकेशन की बदौलत आप अपने राज्य या जिले में चलाई जा रही बहुत सारी सरकारी योजनाओं की जानकारी और लिस्ट की जानकारी निकाल सकते हैं ।
इस एप्लीकेशन से कौन-कौन सरकारी योजना की जानकारी देखी जा सकती है ?
  • MGNREGA
  • PMAY-G
  • DAY-NRLM
  • PMGSY
  • NSAP
  • DDUGKY
  • NRuM
  • 14th Finance Commission

ऊपर बताए गए आठ योजना की जानकारी आप इस एक एप्लीकेशन की बदौलत देख सकते हैं । जिसमें से आप यह चेक कर सकते हैं कितने लोगों ने रजिस्ट्रेशन किया कितने लोग अप्रूव्ड हैं इत्यादि जैसी सभी जानकारी एक ही जगह पर देखी जा सकती है ।

धयान दे :- अगर आपको यह पोस्ट पसंद आया है तो आप इसे लाइक और शेयर कर सकते हैं ऐसी ही जानकारी हम अपने वेबसाइट पर रोजाना पोस्ट करते हैं तो आप हमारे वेबसाइट को भी फॉलो कर सकते हैं ।
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14 thoughts on “प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण सूची। ऐसे देखे लिस्ट में अपना नाम ?

  1. विनोद कुमार कुमावत बोराज सन ऑफ बनवारी लाल

  2. राजकुमार कुमावत बोराज सन ऑफ बनवारी लाल

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वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने चार नये उत्‍पादों को जीआई टैग मे शामिल किया है।

पत्र सूचना कार्यालय 
भारत सरकार
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय 
16-अगस्त-2019 17:13 IST
चार नये उत्‍पादों को जीआई टैग मिला  
क्या है जीआई टैग?
भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication) का इस्तेमाल ऐसे उत्पादों के लिये किया जाता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है।  इन उत्पादों की विशिष्ट विशेषता एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण होती है। इस तरह का संबोधन उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है।  जीआई टैग को औद्योगिक संपत्ति के संरक्षण के लिये पेरिस कन्वेंशन (Paris Convention for the Protection of Industrial Property) के तहत बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) के एक घटक के रूप में शामिल किया गया है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर GI का विनियमन विश्व व्यापार संगठन (WTO) के बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं (Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights-TRIPS) पर समझौते के तहत किया जाता है। वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर यह कार्य ‘वस्तुओं का भौगोलिक सूचक’ (पंजीकरण और सरंक्षण) अधिनियम, 1999 (Geographical Indications of goods ‘Registration and Protection’ act, 1999) के तहत किया जाता है, जो सितंबर 2003 से लागू हुआ। वर्ष 2004 में ‘दार्जिलिंग टी’ जीआई टैग प्राप्त करने वाला पहला भारतीय उत्पाद है। भौगोलिक संकेतक का पंजीकरण 10 वर्ष के लिये मान्य होता है। महाबलेश्वर स्ट्रॉबेरी, जयपुर की ब्लू पॉटरी, बनारसी साड़ी और तिरुपति के लड्डू तथा मध्य प्रदेश के झाबुआ का कड़कनाथ मुर्गा सहित कई उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है।  जीआई टैग किसी उत्पाद की गुणवत्ता और उसकी अलग पहचान का सबूत है। कांगड़ा की पेंटिंग, नागपुर का संतरा और कश्मीर का पश्मीना भी जीआई पहचान वाले उत्पाद हैं। उद्योग एवं आंतरिक व्‍यापार संवर्धन विभाग ने हाल ही में 4 नये भौगोलिक संकेतकों (जीआई) को पंजीकृत किया है। तमिलनाडु राज्य के डिंडीगुल जिले के पलानी शहर के पलानीपंचामिर्थम, मिजोरम राज्य के तल्लोहपुआन एवं मिजोपुआनचेई और केरल के तिरुर के पान के पत्‍ते को पंजीकृत जीआई की सूची में शामिल किया गया है। जीआई टैग या पहचान उन उत्‍पादों को दी जाती है जो किसी विशिष्‍ट भौगोलिक क्षेत्र में ही पाए जाते हैं और उनमें वहां की स्‍थानीय खूबियां अंतर्निहित होती हैं। दरअसल जीआई टैग लगे किसी उत्‍पाद को खरीदते वक्‍त ग्राहक उसकी विशिष्‍टता एवं गुणवत्‍ता को लेकर आश्‍वस्‍त रहते हैं।

what+is+GI+tag

तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले के पलानी शहर की पलानी पहाडि़यों में अवस्थित अरुल्मिगु धान्‍दयुथापनी स्‍वामी मंदिर के पीठासीन देवता भगवानधान्‍दयुथापनी स्‍वामीके अभिषेक से जुड़े प्रसाद को पलानीपंचामिर्थम कहते हैं। इस अत्‍यंत पावन प्रसाद को एक निश्चित अनुपात में पांच प्राकृतिक पदार्थोंयथाकेले, गुड़-चीनी, गाय के घी, शहद और इलायची को मिलाकर बनाया जाता है।पहली बार तमिलनाडु के किसी मंदिर के प्रसादम को जीआई टैग दिया गया है।

तवलोहपुआनमिजोरम का एक भारी, अत्‍यंत मजबूत एवं उत्‍कृष्‍ट वस्‍त्र हैजो तने हुए धागे, बुनाई और जटिल डिजाइन के लिए जाना जाता है। इसे हाथ से बुना जाता है। मिजो भाषा में तवलोह का मतलब एक ऐसी मजबूत चीज होती है जिसे पीछे नहीं खींचा जा सकता है। मिजो समाज में तवलोहपुआन का विशेष महत्‍व है और इसे पूरे मिजोरम राज्‍य में तैयार किया जात है। आइजोल और थेनजोल शहर इसके उत्पादन के मुख्य केंद्र हैं।
मिजोपुआनचेईमिजोरम का एक रंगीन मिजो शॉल/ वस्‍त्र है जिसे मिजो वस्‍त्रों में सबसे रंगीन वस्‍त्र माना जाता है। मिजोरम की प्रत्‍येक महिला का यह एक अनिवार्य वस्‍त्र है और यह इस राज्य में एक अत्‍यंत महत्वपूर्ण शादी की पोशाक है। मिजोरम में मनाये जाने वाले उत्‍सव के दौरान होने वाले नृत्‍य और औपचारिक समारोह में आम तौर पर इस पोशाक का ही उपयोग किया जाता है।
केरल के तिरुर के पान के पत्‍ते की खेती मुख्‍यत:तिरुर, तनूर, तिरुरांगडी, कुट्टिपुरम, मलप्पुरम और मलप्‍पुरम जिले के वेंगारा प्रखंड की पंचायतों में की जाती है। इसके सेवन से अच्‍छे स्‍वाद का अहसास होता है और इसके साथ ही इसमें औषधीय गुण भी हैं। आम तौर पर इसका उपयोग पान मसाला बनाने में किया जाता है और इसके कई औषधीय, सांस्‍कृतिक एवं औद्योगिक उपयोग भी हैं।
जीआई टैग वाले उत्‍पादों से दूरदराज के क्षेत्रों में ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था लाभान्वित होती है, क्‍योंकि इससे कारीगरों, किसानों, शिल्‍पकारों और बुनकरों की आमदनी बढ़ती है। ‍

वायुसेना स्‍टेशन, पुणे में एक बारूदी औजार (पायरोटेक्निक ऑब्‍जेक्‍ट) मिला

पत्र सूचना कार्यालय 
भारत सरकार
रक्षा मंत्रालय 
14-मई-2019 18:35 IST
वायुसेना स्‍टेशन, पुणे में एक बारूदी औजार (पायरोटेक्निक ऑब्‍जेक्‍ट) मिला 
air+force
वायुसेना स्‍टेशन, लोहेगांव, पुणे स्थित वायुसेना स्‍कूल विमाननगर के एक विद्यालय कर्मी को आज सुबह स्‍कूल के मैदान में एक संदेहास्‍पद वस्‍तु दिखाई पड़ी। यह स्‍कूल नागरिक आवासीय क्षेत्र के निकट स्थित है। सूचना मिलने के बाद भारतीय वायुसेना की सुरक्षा टीम वायुसेना स्‍कूल पहुंची और स्‍कूल क्षेत्र को खाली करा लिया। पुलिस के बम निरोधी दस्‍ते ने वस्‍तु की पहचान एक बारूदी औजार (पायरोटेक्निक ऑब्‍जेक्‍ट) के रूप में की। बम निरोधी दस्‍ते ने इस संदेहास्‍पद औजार को सुरक्षित रूप से निष्‍क्रिय कर दिया। इससे जान-माल की कोई हानि नहीं हुई है।
भारतीय वायुसेना की जांच जारी है। 
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श्रम मंत्री ने मुंबई आग दुर्घटना में मृतकों के निकट संबंधियों को मुआवजा देने की घोषणा की

पत्र सूचना कार्यालय 
भारत सरकार
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय 
18-दिसंबर-2018 14:51 IST
श्रम मंत्री ने मुंबई आग दुर्घटना में मृतकों के निकट संबंधियों को मुआवजा देने की घोषणा की 
प्रत्येक मृतक के परिवार को 10 लाख रूपये दिये जायेंगे गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को 2 लाख रूपये, मामूली रूप से घायल व्यक्ति को 1 लाख रूपये दिये जायेंगे

 मुंबई+आग+दुर्घटना

केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री संतोष कुमार गंगवार ने घोषणा की है कि मुंबई में ईएसआईसी अस्पताल में हुई अग्नि दुर्घटना में मारे गये व्यक्तियों के परिवारों को 10-10 लाख रूपये की अनुग्रह राशि दी जायेगी। उन्होने कहा कि इस दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को 2 लाख रूपये और मामूली रूप से घायल व्यक्ति को 1 लाख रूपये दिये जायेंगे।

इस दुर्घटना के कारणों का पता लगाया जा रहा है। प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार अस्पताल के भू-तल पर मरम्मत कार्य के लिए रखी गई निर्माण सामग्री के आग पकड़ जाने से ये दुर्घटना हुई। इस त्रासदी में 8 लोगों की मौत दम घुटने से हुई। करीब 158 व्यक्ति घायल हो गए थे, जिनमें से 57 को अस्पाताल से छुट्टी दी जा चुकी है। अग्निशमन कर्मियों, डॉक्टरों और अस्पताल के कर्मचारियों की मदद से रोगियों और उनके परिजनों को सुरक्षित निकाला गया तथा निकटवर्ती अस्पतालों में भर्ती कराय गया। उप-चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर रेश्मा वर्मा को भी निकटवर्ती अस्पताल में भर्ती कराया गया। वे रोगियों को बचाने के प्रयास में घुटन के कराण बेहोश हो गयी थीं। विस्तृत रिपोर्ट की प्रतीक्षा हैं।
श्रम मंत्री ने दिल्ली में श्रम मंत्रालय और ईएसआईसी के अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया की वे मृतकों के निकट संबंधियों और घायल व्यक्तियों को हर संभव सहायता प्रदान करें। इस प्रयोजन के लिए ईएसआईसी दिल्ली से डॉक्टरों का एक दल मुंबई भेजा गया है।
श्री गंगवार, श्रम और रोजगार मंत्रालय के सचिव और ईएसआईसी महानिदेशक के साथ आज शाम अस्पताल का दौरा कर रहे हैं। वे राहत कार्य की देखरेख करेंगे और घायल व्यक्तियों तथा मृतकों के निकट संबंधियो से मिलेंगे।

नमामि गंगे परियोजना

उत्‍तर प्रदेश में नमामि गंगे के तहत 8 परियोजनाएं पूरी
25 घाटों पर भी निर्माण कार्य पूरा
उत्‍तर प्रदेश में जमीनी स्‍तर पर नमामि गंगे से जुड़ी परियोजनाओं का काम गति पकड़ रहा है। प्रदेश में नमामि गंगे के तहत 6960.22 करोड़ की लागत से कुल 32 स्‍वीकृत परियोजनाओं में से 08 परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं, 15 निर्माणाधीन हैं और 9 टेण्‍डर की प्रक्रिया में हैं।
नमामि+गंगे
इलाहाबाद के फुलवारिया, सलोरी और नैनी में सीवरेज शोधन संयंत्र (एसटीपी) और लगभग 161 कि.मी. सीवर लाइन बिछाने का कार्य पूर्ण हो चुका है। इन सभी संयंत्रों से 119 एम.एल.डी. मल जल का शोधन किया जा सकेगा। इसी प्रकार कन्‍नौज में 62.5 कि.मी. लम्‍बी सीवर लाइन बिछाई जा चुकी है और नरौरा, बुलंदशहर में 4 एम.एल.डी. क्षमता की एस.टी.पी. और 21.03 कि.मी. लम्‍बी सीवर लाइन तैयार है। गढ़मुक्‍तेश्‍वर (हापुड़) में 9 एमएलडी की क्षमता वाले एसटीपी का और 69 कि.मी. लम्‍बी सीवर लाइनों का निर्माण कराया गया है। इन सभी पूर्ण परियोजनाओं की संयुक्‍त क्षमता 133 एमएलडी मल-जल शोधन करने की है।
भारत वर्ष के कुल भू-भाग का 26 प्रतिशत हिस्सा गंगा बेसिन में हैं और देश की लगभग 43 प्रतिशत जनसंख्या गंगा नदी पर निर्भर है। देश का 57 प्रतिशत कृषि भू-भाग सिंचाई के लिए गंगा व उसकी सहायक नदियों पर निर्भर है। गंगा नदी की कुल लंबाई 2,525 किमी है और यह पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से होकर बहती है। वैसे गंगा बेसिन में कुल 11 राज्य है। देश के जल संसाधनों में से 28 प्रतिशत गंगा नदी से ही प्राप्त होता है।
गंगा नदी के आम जनजीवन में व्यापक महत्व को देखते हुए, केन्द्र सरकार ने जुलाई 2014 में पहली बार गंगा पुनरूद्धार के लिए एक अलग मंत्रालय की स्थापना की और मई, 2015 में 20,000 करोड़ के बजट के आबंटन से गंगा की निर्मलता और अविरलता को बहाल करने के उद्देश्य से नमामि गंगे कार्यक्रम की शुरुआत की । नमामि गंगे के तहत, अब तक सीवेज अवसंरचना ,औद्योगिक प्रदूषण नियंत्रण, नदी तट, घाट और मुक्तिधामों के विकास हेतु 22,273 करोड़ रुपये की लागत से कुल 230 परियोजनाएं स्वीकृति की जा चुकी है जिनमें तेजी से कार्य हो रहा है। 44 स्‍थानों पर जल की गुणवत्‍ता की नियमित जांच हेतु मानिटरिंग स्‍टेशन बनाए गए हैं।
नमामि गंगे शत-प्रतिशत केंद्रीय वित्तपोषित योजना है और पूरे पांच वर्ष के लिए एकमुश्त बजट का आबंटन कर दिया गया है। इसके अंतर्गत सभी शहरों में चलने वाली परियोजनाओं की एमएलडी क्षमता इस प्रकार रखी गई है कि यह 2035 तक अनुमानित सीवेज के शोधन के लिए पर्याप्‍त होगी।
कई सीवरेज परियोजनाओं में हाईब्रिड एन्यूटी आधारित पीपीपी मॉडल का उपयोग किया जा रहा है जिसमें 15 वर्ष तक के लिए एस.टी.पी. का संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी निजी कंपनी ऑपरेटरों की ही होगी।
इस मिशन के द्वारा, गंगा नदी में प्रदूषणकारी औद्योगिक इकाइयों और शहरों से निकलने वाले लाखों लीटर मल-जल, सैंकड़ो नालों का गंदा पानी तथा राम गंगा,काली जैसी सहायक नदियों के द्वारा मिलने वाले मल-जल के शोधन का महत्वपूर्ण कार्य होना है।
उत्‍तर प्रदेश की निर्माणाधीन 15 परियोजनाओं में कानपुर शहर के सीसामऊ नाला में इंटरसेप्‍शन व डायवर्जन (आई एण्‍ड डी) का कार्य तेजी से चल रहा है। इसके पूरा होने पर इस नाला के द्वारा गंगा में मिलने वाले मल-जल को एसटीपी के जरिए शोधित किया जा सकेगा। कानपुर व विठूर में भी एसटीपी व सीवर लाइन का कार्य प्रगति पर है।
वाराणसी के दीनापुर में एसटीपी का कार्य चल रहा है जिससे 140 एमएलडी क्षमता का मल जल शोधित होगा और 28 कि.मी. लम्‍बी सीवर लाइन भी बिछाई जा रही है।
13 जून, 2018 को दिल्‍ली में एनएमसीजी, यू.पी. जल निगम और त्रिवेणी इंजीनियरिंग और इण्‍डस्‍ट्रीज के बीच एक एमझौता हुआ था जिसके जरिए मथुरा के लिए एक समेकित मल जल योजना 437.95 करोड़ की लागत से प्रस्‍तावित की गई थी। मथुरा के सारे वर्तमान और भविष्‍य में बनने वाले एसटीपी, सीवर लाइन, सीवर पम्‍प आदि की देखभाल एक ही कम्‍पनी करेगी। यह योजना ‘वन सिटी वन ऑपरेटर’ और हाइब्रिड एन्‍यूटी मोड के तहत लागू की जाएगी।
उसी दिन मथुरा में इंडियन ऑयल कार्पोरेशन लि. और नेशनल मिशन फॉर क्‍लीन गंगा के बीच एक समझौता हुआ था जिसके जिरए मथुरा मल-जल संयंत्र से निकलने वाले शोधित जल को मथुरा रिफाइनरी प्रयोग करेगी। यह कार्य जल्‍दी ही शुरू हो जाएगा।
इसी प्रकार मथुरा, उन्‍नाव, फर्रुखाबाद और बुलंदशहर में भी एसटीपी, आई एंड डी और सीवर लाइन के कार्य प्रगति पर हैं। इन सभी योजनाओं के पूर्ण होने पर 1370 कि.मी.लम्बी सीवर लाइन बिछेगी और 534 एमएलडी क्षमता का मल जल शोधन हो सकेगा।
इलाहाबाद (फाफामऊ व झूंसी), मिर्जापुर, गाजीपुर, अयोध्‍या, मुरादाबाद, वृंदावन और चुनार में भी एसटीपी, सीवर लाइन व आई एंड डी के विभिन्‍न कार्यों के लिए निविदा प्रक्रिया चल रही है।
घाटों और मुक्‍तिधामों का निर्माण

उत्‍तर प्रदेश के कानपुर, कन्‍नौज, बिठूर, इलाहाबाद, वाराणसी आदि अनेक शहरों में 87 घाटों और शवदाह हेतु 25 मुक्‍तिधामों का निर्माण कार्य 398 करोड़ के लागत से कराया जा रहा है। इनमें से 25 घाटों का कार्य पूरा हो चुका है। कानपुर, इलाहाबाद और वाराणसी में ट्रैशस्‍किमर्स चलाए जा रहे हैं जिससे नदी की सतह से कूड़ा-कचरा निकाला जाता है। वाराणसी के 84 घाटों की सफाई का जिम्‍मा आईएल एंड एफएस एनवायरमेंटल इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर एंड सर्विस लि. को 5 करोड़ प्रतिवर्ष की लागत से तीन वर्षों के लिए दिया गया है। इसी प्रकार बिठूर, कानपुर, इलाहाबाद और मथुरा-वृंदावन में 94 घाटों की अगले तीन वर्षों के लिए सफाई के लिए 12.97 करोड़ रुपए स्‍वीकृत किया गए हैं।
प्रदूषणकारी औद्योगिक इकाइयों पर कार्रवाई
गंगा तट पर कुल 961 औद्योगिक इकाइयां ऐसी थीं जो गंगा नदी को काफी प्रदूषित कर रही थीं। तकनीकी संस्‍थाओं के सहयोग से एक अभियान चलाकर उनका निरीक्षण किया गया। अभियान के फलस्‍वरूप 211 इकाइयां स्‍वत: बंद हो गईं, 54 उद्योगों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया और 3 इकाइयों को बंद करने के नोटिस दिए गए हैं। टैनरी उद्योगों द्वारा होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए जाजमऊ (कानपुर) में 554 करोड़ की लागत से सीईटीपी अनुमोदित किया गया है। चीनी उद्योगों में प्रति टन पीसे हुए गन्‍ने पर अपशिष्‍ट सृजन 400 लीटर से कम करके 200 लीटर किया गया है। इसी प्रकार पेपर और पल्‍प तथा टेक्‍सटाइल इंण्‍डस्‍ट्री में भी प्रदूषण कम करने की कोशिश हो रही है।
जल संसाधन मंत्रालय द्वारा की गई एक नई पहल एक शहर एक प्रचालक (वन सिटी वन आपरेटर) के अंतर्गत उत्‍तर प्रदेश में मथुरा, फर्रुखाबाद एवं कानपुर में कार्य आबंटित किया जा चुका है। इलाहाबाद, गाजीपुर और मिर्जापुर में निविदाएं प्राप्‍त हो चुकी हैं। ‘वन सिटी वन आपरेटर’ के द्वारा एक शहर की समस्‍त योजनाओं को (एसटीपी हो, सीवर नेटवर्क हो आदि) एक ही कम्‍पनी द्वारा संचालित किया जाता है जिससे कार्य के संचालन में सुविधा हो।

नमामि गंगे परियोजना का मुख्य हेतु गंगा को बचाना हे हम को अच्छी तरह से पता हे की गंगा बहोत पवित्र नदी हे इस नदी का सिर्फ सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व नहीं हे बल्कि हमारे भारत देश की 40 % बस्ती गंगा पर निर्भर हे|
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सन २०१४ में यह कहा था की अगर हम गंगा नदी को साफ़ करने में सक्षम हो गए तो भारत देश की ४० % आबादी के लिए यह बड़ी मदद साबित होगी|गंगा की सफाई एक आर्थिक एजेंडा भी हे|
भारत सरकार ने गंगा नदी के प्रदुषण और गंगा नदी को पुनर्जीवित करने के लिए नमामि गंगे परियोजना नाम का एक एकीकृत गंगा सरक्षण मिशन का आरंभ किया|
केंद्रीय मंत्रीमंडल ने भी नदी की सफाई के लिए बजट को चार गुना करते हुए साल 2019-2020 तक गंगा नदी की सफाई पर 20,000 करोड़ रूपये खर्च करने की मंजूरी दी और इस योजना में 100 % केंद्रीय हिस्सेदारी के साथ इस योजना को केंद्रीय योजना का नया रूप दिया|
  • परियोजना की राशि                 –    २०३७ (2037) करोड़ रूपये
  • परियोजना में शामिल मंत्रालय    –    केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय,गंगा नदी विकास और गंगा काया कल्प
  • परियोजना का उद्देश्य                –   गंगा नदी की सफाई
  • परियोजना प्रारब्ध                      –   तारीख जुलाई २०१४ (2014)
  • परियोजना की अवधि                 –   १८ (18) साल
प्रारम्भ स्तर की गतिविधियों के अंतर्गत गंगा नदी की ऊपरी सतह की सफाई से लेकर बहते हुए ठोस कचरे की समस्या को हल करने|
सबसे पहले ग्रामीण क्षेत्रों की सफाई से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों की नालियों से आते मेले पदार्थ और इसमें आगे शौचालयो का निर्माण|
स्मशान गृह का नवीनीकरण, आधुनिकीकरण और निर्माण क्युकी आंशिक रूप से जले हुए शव को नदी में बहाने से रोका जा सके|
इस योजना के यह मकसद भी हे की लोगो और नदी के बीच सबंध को बेहतर करने के लिए घाटों के निर्माण,मरम्मत और आधुनिकीकरण का लक्ष्य भी निर्धारित हे|
नमामि गंगे परियोजना का सबसे बड़ा मुद्दा नदी की लंबाई हे|
नमामि गंगे परियोजना में २५०० (2500) किलोमीटर की दुरी कवर करने के साथ ही उसमे शामिल २९ (29) बड़े शहर , ४८ (48) कसबे और २३ (23) छोटे शहरो कवर करती हे|
और इसके अलावा दूसरे कारण यह भी हे की नदी का भारी प्रदूषण स्तर और औद्योगिक एकमो का अस्पष्ट केमिकल और कचरा और आम जनता द्वारा डाला गया कचरे का मुद्दा भी हे|
आद्योगिक प्रदूषण की समस्या के लिए बेहतर प्रवर्तन के माध्यम से अनुपालन को बेहतर बनाने के प्रयास किये जा रहे हे| गंगा नदी के किनारे स्थित ज्यादा प्रदुषण फैलाने वाले उद्योगों को गंदे पानी की मात्रा काम करने और उसे पूर्ण तरीके से बंध करने का आदेश दिए गए हे|

नमामि गंगे परियोजना का कवर क्षेत्र|
भारत के पांच राज्य नमामि गंगे परियोजना इम्प्लेमेंट किया गया है| 
  • उत्तराखंड|
  • झारखंड|
  • उत्तरप्रदेश|
  • पश्चिम बंगाल|
  • बिहार|
गंगा नदी के पथ में आते हे,और इसके बजाये सहायक नदियों के कारण वे निचे दिए मुजब state कुछ हिस्सों को भी छूता हे|
  •  हिमाचल प्रदेश
  • राजस्थान 
  • हरियाणा
  • छत्तीशगढ़ और
  • दिल्ही 
गंगा नदी में नगर निगम और उद्योगों से आने वाले कचरे की समस्या का निकाल करने का ध्यान दिया जायेगा और यह प्रॉब्लम हल करने के लिए अगले वर्षो में २५०० MLD अतिरिक्त ट्रीटमेंट कैपेसिटी की रचना की जायेगी और इस कार्यक्रम को बेहतर बनाने के लिए सुधारे किये जा रहे हे|
परियोजना कार्यान्वयन के लिए वर्तमान समय में केबिनेट हाइब्रिड वार्षिकी आधारित पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर विचार किया रहा हे|अगर यह योजना मंजूर हो जाती हे तो विशेष योजना वाले वाहन सभी मुख्य शहरो में रियायत का प्रबंधन करेगा|


गृह मंत्रालय ने चंडीगढ़ में सिख महिलाओं को हेलमेट पहनने से छूट दी

गृह मंत्रालय ने चंडीगढ़ में सिख महिलाओं को हेलमेट पहनने से छूट दी
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने चंडीगढ़ प्रशासन को केन्द्रशासित प्रदेश (यूटी) चंडीगढ़ में दो पहिया वाहन चलाते समय सिख महिलाओं को सुरक्षा कवच (हेलमेट) पहनने से छूट देने के लिए दिल्ली सरकार की अधिसूचना का पालन करने की सलाह दी है।
यह निर्णय सिख समुदाय के प्रतिनिधियों से केंद्रीय गृह मंत्री की मुलाकात के बाद लिया गया है।
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        दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने 4 जून 1999 को जारी अधिसूचना के माध्यम से दिल्ली मोटर वाहन अधिनियम 1993 के नियम 115 में संशोधन किया, जिसके तहत महिलाओं के लिए, चाहे वे मोटरसाइकिल पर पिछली सीट पर बैठी हों या फिर खुद चला रहीं हों, दोनों ही सूरत में हेलमेट पहनना वैकल्पिक हो गया।
       इस नियम को 28 अगस्त 2014 की अधिसूचना के अनुसार संशोधित किया गया था, जिसके तहत “दिल्ली मोटर वाहन नियम 1993 के” उप-नियम 115 में “महिला” शब्द को “सिख महिला” शब्द के रूप में अलग से वर्णित किया जाएगा।
      केंद्रीय गृह मंत्रालय ने चंडीगढ़ प्रशासन को केन्द्रशासित प्रदेश (यूटी) चंडीगढ़ में दो पहिया वाहन चलाते समय सिख महिलाओं को सुरक्षा कवच (हेलमेट) पहनने से छूट देने के लिए दिल्ली सरकार की अधिसूचना का पालन करने की सलाह दी है।
Home Ministry exempts Sikh women from wearing helmet in Chandigarh 
 
The Union Home Ministry has advised the Chandigarh Administration to follow the notification issued by Delhi Government giving an exemption to Sikh women from wearing protective headgear (helmet) while driving two wheelers in UT Chandigarh. 
This is in response to the representation received by to the Union Home Minister from representatives of Sikh bodies.
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The Department of Transport, Delhi Government, vide its notification issued on 04th June 1999, carried out the amendment in Rule 115 of Delhi Motor Vehicle Act 1993, making it optional for women “whether riding on pillion or driving motorcycle to wear a protective headgear.”
The Rule was further amended, vide notification dated 28th August 2014 as “ in the Delhi Motor Vehicle Rule 1993, in Sub-Rule 115 for the word “Women” the word “Sikh Women” shall be submitted.
नोट :- हमारे वेबसाइट www.indiangovtscheme.com पर ऐसी जानकारी रोजाना आती रहती है, तो आप ऐसी ही सरकारी योजनाओं की जानकारी पाने के लिए हमारे वेबसाइट www.indiangovtscheme.com से जुड़े रहे।

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