Uttarakhand Jan Awas Yojana Directive Principles Policy उत्तराखण्ड जन आवास योजना हेतु नीति निर्देशक सिद्धान्त

Uttarakhand Jan Awas Yojana Directive Principles Policy उत्तराखण्ड जन आवास योजना हेतु नीति निर्देशक सिद्धान्त
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संख्या:-177/V/ आ0-2016-75(आ0) / 2016
प्रेषक,
आर. मीनाक्षी सुन्दरम्‌,
सचिव,
उत्तराखण्ड शासन।
सेवा में,
1- मुख्य प्रशासक, उत्तराखण्ड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण,देहरादून
2- अध्यक्ष / उपाध्यक्ष  समस्त विकास प्राधिकरण, हरिद्वार / देहरादून ।
3- अध्यक्ष / सचिव, समस्त विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण, उत्तराखण्ड
  
4- नियंत्रक प्राधिकारी, समस्त विनियमित क्षेत्र  उत्तराखण्ड
आवास अनुभाग – 2                                                                                   
देहरादून: दिनांक 30 नवम्बर, 2016

विषयः- उत्तराखण्ड जन आवास योजना हेतु नीति निर्देशक सिद्धान्त |

महोदय, 
उपर्युक्त विषयक शासनादेश संख्या-1437 / V -2 / 2016-75(आ0) / 2016, दिनांक 06 अक्टूबर, 2016 द्वारा उत्तराखण्ड जन आवास योजना के संचालन एवं कियान्वयन हेतु उत्तराखंड  आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण को नोडल एजेन्सी नामित किया गया है।

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2- चूँकि राज्य के समग्र आर्थिक विकास में आवास अभिन्‍न अंग है। मानव बस्तियों के सतत्‌ विकास के लिए समुचित आवास की उपलब्धता सर्वोपरि है। समाज के प्रत्येक परिवार हेतु उसकी आर्थिक क्षमतानुसार आवास की उपलब्धता सुनिश्चित कराया जाना राज्य सरकार का दायित्व है, अत: सम्यक विचारोंपरान्त लिये गये निर्णयानुसार मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि कृपया उत्तराखण्ड जनआवास योजना के सफल संचालन हेतु निम्नानुसार नीतिनिर्देशक सिद्धान्तों का अनुपालन किया जाना सुनिश्चित करें:-
उत्तराखण्ड जन आवास योजना नीति
कार्यक्षेत्र- उत्तराखण्ड के समस्त नगर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में अनुमन्य।
आवश्यकता – राज्य के समग्र आर्थिक विकास में आवास अभिन्‍न अंग है। आवास मनुष्य का बुनियादी अधिकार तथा मानव बस्तियों के सतत विकास के लिए समुचित आवास की उपलब्धता सर्वोपरि है। समाज के प्रत्येक परिवार हेतु उसकी आर्थिक क्षमतानुसार आवास की उपलब्धता सुनिश्चित कराया जाना राज्य सरकार का दायित्व है। उत्तराखण्ड में वर्ष 2001-11 की जनगणना में शहरी जनगणना में 2.76 प्रतिशत प्रतिवर्ष की वृद्धि हुई है, जिसके कारण राज्य में वर्ष 2022 तक कुल 2.50 लाख आवासों की कमी अनुमानित है। वर्ष 2017 तक 1.6 लाख आवासों की कमी अनुमानित है, जिसमें से लगभग 85 प्रतिशत आवासों की कमी दुर्बल एवं निम्न आय वर्ग में होगी। इन आवासों की कमी को सरकारी एवं निजी क्षेत्र की सहभागिता के द्वारा ही दूर किया जाना है।
उद्देश्य –
  • राज्य में दुर्बल व निम्न आय वर्ग के समस्त आवासहीन परिवारों को किफायती एवं सरक्षित आवास उपलब्ध कराना।
  • समाज के समस्त वर्ग विशेष निर्धनों के लिए आर्थिक क्षमतानुसार आवास की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
  • आवास एवं अवस्थापना सुविधाओं के विकास हेतु भूमि अर्जन/ भूमि संयोजन की व्यवस्था के लिए उपाय करना।
  • आवास एवं अवस्थापना विकास में सार्वजनिक-निजी-सहभागिता को प्रोत्साहित करना।
  • आवास सेक्टर में निजी पूँजी निवेश के प्रोत्साहन हेतु विधिक एव नियामक सुधार करना।
  • आवासों की उपलब्धता के संबंध में अवस्थापना विकास को प्रोत्साहन देना।
  • शासकीय अभिकरणों में आवास निर्माण हेतु नवीनतम तकनीक से आवास निर्माण हेतु क्षमता संवर्द्धन प्रणाली का विकास |

कार्ययोजना – उपरोक्त आवासों की कमी की पूर्ति हेतु राज्य सरकार द्वारा उत्तराखण्ड जन आवास योजना प्रारम्भ की गयी है, जिसमें भागीदारी के माध्यम से राजय में दुर्बल एवं निर्बल आय वर्ग के परिवारों को किफायती आवास उपलब्ध कराया जायेगा ।

योजना का कियान्वयन – योजना का कियान्वयन हेतु उत्तराखण्ड आवास व नगरीय विकास अभिकरण (उडा) को नोडल विभाग नामित किया गया है और नोडल विकास द्वारा प्राधिकरण में स्थित विकास प्राधिकरणों, विनियमित क्षेत्रों, उत्तराखण्ड आवास एवं विकास परिषद, शासकीय विभागों, राज्य सरकार द्वारा नामित अभिकरण, निजी विकासकर्ताओं तथा अन्य स्टेकहोल्डर्स जो योजना हेतु इच्छुक हों के माध्यम से भागीदारी आधार में किया जायेगा।
भागीदारी में किफायती आवास –
  • पैरास्टेटल एजेन्सियों सहित निजी क्षेत्र अथवा सार्वजनिक क्षेत्रों के साथ सहभागिता आधार पर किफायती आवासीय योजनाओं विकसित की जाएगी ।
  • योजना में राज्य सरकार द्वारा उडा को निशुल्क भूमि उपलब्ध करायी जायेगी जिसमें उड़ा द्वारा किफायती आवासीय योजनाये विकसित की जायेगी।
  • योजना के कियान्वयन हेतु उडा द्वारा हुडको से ऋण लिया जायेगा जिस हेतु राज्य सरकार द्वारा शासकीय व वित्तीय प्रतिपूर्ति प्रदान की जायेगी ।
  • योजना के अन्तर्गत उडा भारत कियान्वयन हेतु उडा द्वारा हुहको से ऋण लिया जायेगा जिस हेतु राज्य सरकार द्वारा शासकीय ब वित्तीय प्रतिपूर्ति प्रदान की जायेगी।
  • उत्तराखण्ड जन आवास योजना हेतु राज्य सरकार द्वारा भूमि का चिन्हांकन कर भूमि निशुल्क उडा को उपलब्ध करायी जायेगी तथा उडा द्वारा ई0डब्ल्यूएएस0 एवं एल0आईए0जी0 श्रेणी के आवासों का वृहद स्तर पर निर्माण किया जायेगा तथा ई०डब्ल्यूएएस0आवासों में प्रति आवास 1.5 लाख रूपये की केन्द्रीय सहायता के साथ राज्यांश के रूप में रू0 1.00 लाख की छूट का प्रावधान किया जाएगा।
  • ई०डब्ल्यूएएस0 भवनों हेतु आवास का आकार 30 वर्गमी तथा एल0आई0जी० भवनों हेतु 60 वर्गगी0 तक अनुमन्य होगा। भवनो का आकार केन्द्र सरकार के दिर्शानिदेशों के अनुरूप आवश्यकतानुसार परिवर्तित किया जा सकता है।
  • किफायती आवास में विभिन्‍न श्रेणियों के लिए आवासों का याग हो सकता है, परन्तु यह केन्द्रीय सहायता का पात्र तभी होगा, यदि योजना में आवासों का कम से कम 35 प्रतिशत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए हो तथा एक योजना में कम से 250 आवास हों।

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अन्य लाभ –
  • रिवर फंट डेवलपमेंट योजना अथवा ऐसी मलिन बस्तियां, जिनका स्व-स्थाने विकास किया जा सकता है, व हां अतिरिक्त एफ0ए0आर० एवं अन्य आवश्यक शिथिलता प्रदान कर ई०डब्ल्यूएएस0 एवं एल0आई0जी0 श्रेणी के बहुमंजिला आवासों तथा अतिरिक्त क्षेत्र का व्यवसायिक उपयोग का प्रावधान किया जायेगा।
  • ई0०डब्ल्यूएएस0 श्रेणी के ऐसे लाभाथी, जिनके पास स्वयं के स्वामित्व की भूमि है, उन्हें 30 वर्गगी0 के कारपेट एरिया पर भवन निर्माण हेतु आधारित व्यक्तिगत केन्द्र सरकार की प्रधानमंत्री सबके लिए आवास निर्माण के लिए सब्सिडी अन्तर्गत केन्द्रांश रू0 1.5 लाख के साथ राज्यांश के रूप में रू0 1.00 लाख का प्रावधान किया जायेगा।
  • योजना के अन्तर्गत प्रत्येक वित्तीय वर्ष में लगभग 35,000 आवास विहीन व्यक्तियों को आवास उपलब्ध कराये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में लगभग 10,000 आवास उपलब्ध कराये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

पात्रता-

  • इस योजना के अन्तर्गत दुर्बल आय वर्ग के अन्तर्गत वार्षिक आय अधिकतम रू 3 लाख एवं निम्य आय वर्ग के अन्तर्गत वार्षिक आय अधिकतम रू0 6 लाख वाले व्यक्ति ही पात्र होंगे। अनुमन्यता की पात्रता में संशोधन केन्द्र सरकार के अनुमन्यता के अनुसार ही किया जायेगा। जहां पात्र व्यक्ति का अभाव रहेगा वहां पर उपलब्ध आवासों को राज्य सरकार के दिशा निर्देश प्राप्त कर निस्तारण किया जायेगा।
  • एक लाभार्थी परिवार में पति, पत्नी, अविवाहित पुत्र और अथवा अविवाहित लड़कियां शामिल होंगे। लाभार्थी परिवार का उत्तराखण्ड में अथवा भारत के किसी भी अन्य राज्य अथवा केन्द्रशासित प्रदेश में अपने नाम पर अथवा उसके परिवार के किसी सदस्य के नाम पर अपना घर नहीं होना चाहिए। 

शिथिलता- योजना के किसी प्राविधान में अस्पष्टता / कठिनाईयों के निस्तारण एवं उसमें शिथिलता प्रदान करने का अधिकार राज्य सरकार में निहित रहेगा। 

3-  उक्त के अतिरिक्त मुझे यह भी कहने का निदेश हुआ है कि उत्तराखण्ड जनआवास योजना के अन्तर्गत ई०डब्लू0एस0 भवनों हेतु अन्य उच्च उपयोग के भूखण्डों एवं भवनों से “कास-सब्सिडाइज” की पद्धति को भी उपयोग में लाया जाये। भवन हेतु अधिक सुविधाजनक ऋण की सुविधा उपलब्ध करायी जाये तथा कर्मकार फण्ड का भी उपयोग योजना के अन्तर्गत किया जाये।
भवदीय,
(आर0 मीनाक्षी सुन्दरम )
सचिव 

Source : http://udd.uk.gov.in/news/view/62

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