Two types of benefits from the Kusum scheme कुसुम योजना से दो तरह के फायदे

Two types of benefits from the Kusum scheme कुसुम योजना से दो तरह के फायदे

केंद्र सरकार की कुसुम योजना किसानों को दो तरह से फायदा पहुंचाएगी। एक तो उन्हें सिंचाई के लिए फ्री बिजली मिलेगी ओर दूसरा अगर वह अतिरिक्त बिजली बना कर ग्रिड को भेजते हैं तो उसके बदले उन्हें कमाई भी होगी।

क्या है प्रधानमंत्री कुसुम योजना

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) द्वारा प्रधान मंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (प्रधानमंत्री-कुसुम) योजना को 2020 में ही शुरू किया गया है. केंद्र सरकार की इस योजना के जरिए किसान अपनी जमीन पर सोलर पंप और पंप लगाकर अपने खेतों की सिंचाई कर सकते हैं. केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि इस योजना के तहत देशभर में सभी बिजली व डीजल से चलाए जाने वाले पंप को सोलर उर्जा से चलाया जा सके.

कुसुम योजना

कुसुम योजना की मुख्य बातें

  • 30% फीसदी राशि केंद्र सरकार सब्सिडी के तोर पर बेंक अकाउंट में देगी। 30 फीसदी राशि राज्य सरकार देगी। 30 फीसदी राशि बेंक लोन के रूप में देंगे।
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  • 10%  राशि का भुगतान करना होगा किसानों को सोर ऊर्जा उपकरण स्थापित करने के लिए। 
  • प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत सोर ऊर्जा संयंत्र लगाने से भूस्वामी को प्रति वर्ष प्रति एकड़ 60 हजार से 1 लाख रुपये तक की आमदनी अगले 25 वर्षों तक होगी।

सरकार देती है 60 फीसदी तक अनुदान

इसके तहत कृषि पंपों के सौरीकरण के लिए सरकार की ओर से 60 फीसदी तक अनुदान दिया जाता है. इस योजना को राज्य सरकार के विभागों द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है जिसमें किसानों को केवल बाकी का 40 फीसदी ही विभाग को जमा करवाना होता है. इन विभागों का विवरण MNRE की वेबसाइट www.mnre.gov.in पर उपलब्ध है.

बिजली की बड़ी बचत: सरकार का मानना है कि अगर देश के सभी सिंचाई पंप में सोर ऊर्जा का इस्तेमाल होने लगे तो न सिर्फ बिजली की बचत होगी बल्कि 30,800 मेगावाट अतिरिक्त बिजली का उत्पादन भी संभव होगा। 

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आप ऐसे ले सकते हैं लाभ... कुसुम योजना के तहत आवेदन करने के लिए आप आधिकारिक वेबसाइट https://Mnre.Gov.in/ पर जाकर रजिस्ट्रेशन कराने के साथ-साथ योजना के बारे में अधिक जानकारी भी ले सकते हैं।

सोर ऊर्जा उपकरण ओर पंप लगाकर अपने खेतों की सिंचाई कर सकते हैं। साथ ही, अपनी भूमि पर सोलर पैनल लगाकर इससे बनने वाली बिजली का उपयोग खेती के लिए कर सकते हैं। सरप्लल बिजली राज्य सरकार की वितरण कंपनी खरीदेगी, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय होगी। किसान की जमीन पर बनने वाली बिजली से देश के गांव में बिजली की निर्बाध आपूर्ति शुरू की जा सकती है।

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इस योजना के तीन घटक हें…

  • घटक A : 10,000 मेगावाट के विकेंद्रीकृत ग्रिडों को नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों से जोड़ना। इसमें 2 मेगावाट तक क्षमता वाले सार ऊर्जा संयंत्र की स्थापना किसान/ सहकारी समिति/पंचायत/किसान उत्पाद संघ(एफपीओ ) द्वारा की जा सकती है। इन संयंत्रों से बची हुई बिजली को बिजली वितरण कंपनी खरीदेगी।
  • घटक B : 20 लाख सोर ऊर्जा चालित कृषि पंपों की स्थापना। 
  • घटक C : ग्रिड से जुड़े 15 लाख सोर ऊर्जा चालित कृषि पंपों का सोरीकरण।
इस योजना का लक्ष्य कुल 30,800 मेगावाट की सौर क्षमता स्थापित करना है। यानी तय लक्ष्य के अनुसार देश में 35 लाख सिंचाई पंप को बिजली या डीजल की जगह सोर ऊर्जा से चलाया जाना है। कुसुम योजना पर आने वाले कुल खर्च में से केंद्र सरकार 34 हजार करोड़ रुपये का योगदान करेगी। इस योजना से किसानों को प्रति वर्ष प्रति एकड़ 60 हजार से 1 लाख रुपये तक की आमदनी होगी। यदि किसान प्रोजेक्ट डेवलपर से सोर ऊर्जा संयत्र लगवाते हैं तो भी सालाना लगभग 30 हजार रुपये की आमदनी हो सकती है। साथ ही, इस योजना से भूमिगत जल की भी बचत होगी, क्योंकि किसान सरप्लस प्राप्त करेंगे जो उन्हें बिजली के किफायती उपयोग के लिए प्रेरित करेगा। राज्य सरकारें भी अपने भारी सिंचाई अनुदान बजट में बचत कर पाएंगी और इस बचत को शिक्षा, स्वास्थ्य व इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी नागरिक सुविधाओं पर खर्च किया जा सकता है। 
Source : www.mnre.gov.in

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