People in public life must live up to the aspirations of people: Vice President

पत्र सूचना कार्यालय 
भारत सरकार
उप राष्ट्रपति सचिवालय 
04-मई-2019 19:16 IST
सार्वजनिक जीवन में लोगों को एक-दूसरे की आकांक्षाओं पर खरा उतरना चाहिए: उपराष्ट्रपति 
संसद और राज्य विधानसभाओं की पवित्रता बनाए रखना जन प्रतिनिधियों का प्रथम कर्तव्य विधायकों से बहस का स्तर बढ़ाने का किया आह्वान उपराष्ट्रपति ने मीडिया से कहा- रचनात्मक विचार-विमर्श का करें उल्लेख “ग्रामीण प्रजावनी-सुनकारा सत्यनारायण शासन मंडली प्रसांगलु’’ पुस्तक का किया विमोचन
Parliamant+legislative+assembly
उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने जन-प्रतिनिधियों से आह्वान किया है कि वे लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सदैव प्रयासरत रहें और प्रतिनिधित्व करने वाली संस्थाओं की गरिमा बनाए रखें। उपराष्ट्रपति ने कहा कि जनप्रतिनिधि लोगों के द्वारा दी गई जिम्मेदारियों को पूरा करें और राष्ट्र निर्माण की दिशा में सांसद, विधायक और स्थानीय निकाय के सदस्य अपने कार्यकाल का इष्टतम उपयोग करें।
आज नई दिल्ली में रायतू नेसाम पब्लिकेशन्स द्वारा प्रकाशित तेलुगु पुस्तक “ग्रामीण प्रजावनी-सुनकारा सत्यनारायण शासन मंडली प्रसांगलु” (आंध्र प्रदेश विधानसभा में सुनकारा सत्यनारायण के भाषण) का विमोचन करने के बाद, एक सभा को संबोधित करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि श्री सत्यनारायण जैसे लोगों ने अपने वाक-कौशल और लोगों के प्रति समपर्ण की अपनी प्रतिबद्धता के माध्यम से विचार विमर्श के स्तर को उच्च बनाया।
उपराष्ट्रपति ने आंध्र प्रदेश विधानसभा में विधायक के रूप में अपने दिनों का स्मरण करते हुए कहा कि वह चाहते है कि युवा पीढ़ी श्री तेन्नेती विश्वनाधाम, श्री गोथू लताचन्ना, श्री पुचलपल्ली सुंदरराय और श्री सुनकारा सत्यनारायण जैसे विख्यात विधायकों के भाषणों को सुनें और उनसे ज्ञान अर्जित करें।
श्री नायडू ने सभी लोगों से सार्वजनिक जीवन में उपयोगी महत्व के विषयों जैसे कृषि, शिक्षा, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य सेवा और योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन की अपील की।
उन्होंने राजनीतिक दलों, संसद सदस्यों और विधायकों से रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए अपने दृष्टिकोण का पुर्नमूल्यांकन करने का आह्वान करते हुए कहा कि विधानसभाओं में बहस के स्तर को उच्च बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि संसद और राज्य विधानसभाओं जैसे संस्थानों की पवित्रता को बनाए रखना जनप्रतिनिधियों का प्रथम कर्तव्य है।
संसद और विधानसभाओं की कार्यवाही में बढ़ते व्यवधानों पर चिंता व्यक्त करते हुए, श्री नायडू ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे अपने सदस्यों के लिए एक आचार संहिता तैयार करें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि विधानसभाओं में सार्थक बहस हों।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि मीडिया भी लोगों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले व्यक्तियों से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर रचनात्मक बहस प्रसारित करें।
इस अवसर पर, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव, श्री के. वी. चौधरी, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त, श्री डॉ. लक्ष्मी प्रसाद, श्री के हरि बाबू, संसद सदस्य, डॉ. सूर्य राव, श्री कर्णति वेंकटेश्वर राव और अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
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