New definition given to world of measurement units like KG, Kelvin, Mole and Empire किलोग्राम, केल्विन, मोल और एंपियर जैसी मापक इकाइयों की दुनिया को मिली नई परिभाषा

पत्र सूचना कार्यालय 
भारत सरकार
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय 
20-मई-2019 13:58 IST

किलोग्राम, केल्विन, मोल और एंपियर जैसी मापक इकाइयों की दुनिया को मिली नई परिभाषा 

दशकों तक प्रयोशालाओं में किए गए गहन वैज्ञानिक प्रयोगों के बाद आाखिर दुनिया के वैज्ञानिकों ने 16 नवंबर 2018 को बीआईपीएम में माप-तौल  पर आयोजित सम्‍मेलन में माप तौल की सात अंतरराष्‍ट्रीय इकाइयों में से चार  –किलोग्राम(भार मापक इकाई) केल्विन (ताप मापक इकाई), मोल (पदार्थ मापक इकाई) और एंपियर (विद्युत मापक इकाई) को विश्‍व स्‍तर पर फिर से परिभाषित करने का ऐतिहासिक फैसला लिया था।

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यह परिभाषा पूरी दुनिया में आज विश्व माप विज्ञान दिवस के दिन से लागू हो रही है। विश्‍व माप विज्ञान दिवस हर साल 20 मई को मनाया जाता है। वर्ष 1875 को आज ही के दिन दुनिया के 17 देशों के प्रतिनिधियों ने माप तौल की एक सर्वमान्‍य अंतरराष्‍ट्रीय इकाई प्रणाली तय करने के लिए मीटर कन्‍वेन्‍शन पर हस्‍ताक्षर किए थे। इस सम्‍मेलन ने वैश्विक सहयोग के माध्‍यम से नाप तौल विज्ञान और उसकी औद्योगिक ,वाणिज्यिक और सामाजिक उपयोगिता की रूपरेखा तय करने का मार्ग प्रशस्‍त किया था।

हालांकि आज के दिन से लागू नई परिभाषा का आम लोग तो कुछ खास अनुभव नहीं कर पायेंगे या यूं कहें कि आम जन-जीवन में इसके बदलाव में कुछ खास असर नहीं देखा जाएगा पर इसके बदलाव के सूक्ष्मतम स्तर पर परिणाम व्यापक होंगे। एसआई की परिभाषा में परिवर्तन के परिणामस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, उच्च तकनीक निर्माण, मानव स्वास्थ्य और सुरक्षा, पर्यावरण की सुरक्षा, वैश्विक जलवायु अध्ययन और बुनियादी विज्ञान के क्षेत्रों में सुलभता आएगी। इससे उच्च स्तर पर प्रकृति के वर्तमान सैद्धांतिक वर्णन के आधार पर इकाइयों को दीर्घकालिक, आंतरिक रूप से आत्मनिर्भर और व्यावहारिक रूप से प्राप्य होने की उम्मीद है।

वैज्ञानिक एंव औद्योगिक अनुसंधान परिषद् -सीएसआईआर के महानिदेशक श्री शेखर सी. मांडे ने नई इकाइयों की परिभाषा तय करने के प्रयासों में शामिल होने के लिए राष्‍ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला को बधाई दी  है और कहा कि  क्‍वांटम कंप्‍यूटिंग, आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस, इंडस्‍ट्री 4.0 और अंतरिक्ष में संचार सेवा जैसी भविष्‍य की कुछ वैश्विक चुनौतियां हैं। ऐसे में भारत जैसी उभरती अर्थव्‍यवस्‍था के लिए इन चुनौतियों से निबटने की तैयारी करना बेहद जरूरी हो गया है।

अंतरराष्‍ट्रीय माप विज्ञान समुदाय और विशेष रूप से देश का राष्ट्रीय मापन संस्थान (एनएमआई)  इस वर्ष विश्‍व माप विज्ञान दिवस को एक नई शुरुआत के रूप में मना रहा है। सीएसआईआर और एनपीएल अंतरराष्‍ट्रीय माप तौल इकाइयों को नए सिरे से परिभाषित किए जाने को व्‍याख्‍यानों और कई अन्‍य कार्यक्रम के जरिए से लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहा है। नए सिरे से परिभाषित की गई इन इकाइयों के महत्‍व को स्‍वीकार करने और राष्‍ट्रीय स्‍तर पर इसे पहचाने दिलाने की जिम्‍मेदारी के तहत सीएसआईआर और एनपीएल ने नए सिरे से कई दस्‍तावेज तैयार किए हैं जिनमें माप विज्ञान की पहचान, राष्‍ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद्-एनसीईआरटी, माप विज्ञान में इंजीनियरिंग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान, आल इंडिया काउंसिल फॉर टेकनिकल एजुकेशन तथा राष्‍ट्रीय तकनीकी संस्‍थाअनों के पाठ्यक्रम में नयी परिभाषा को समाहित करने के लिए प्रस्‍तावित बदलाव के सुझाव से जुड़े दस्‍तावेज शामिल हैं।

अंतरराष्‍ट्रीय माप विज्ञान के दिवस के उपलक्ष्‍य में सीएसआईआर और एनपीएल ने मिलकर ‘अंतरराष्‍ट्रीय माप इकाइयों की नयी परिभाषा और मापविज्ञान से जुड़ी एनपीएल की गतिविधियां’ शीर्षक से एक पुस्‍तक भी प्रकाशित की है। इस पुस्‍तक में माप इकाइयों की परिभाषा में किए गए बदलावों और भारत की माप विज्ञान अवसंरचना को मजबूत बनाने में एनपीएल की भूमिका की भी विस्‍तृत जानकारी दी गई है।

कैसे परिभाषित किया गया है किलोग्राम को?

  • वर्तमान में किलोग्राम को प्लेटिनम से बनी एक सिल जिसे ‘ली ग्रैंड के’ कहा जाता है, के वज़न द्वारा परिभाषित किया जाता है। इस प्रकार की एक सिल पश्चिमी पेरिस में इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ़ वेट्स एंड मीज़र्स के वॉल्ट में वर्ष 1889 से सुरक्षित है।
  • लंदन में निर्मित ‘ली ग्रैंड के’ 90% प्लेटिनम और 10% इरिडियम का बना 4 सेंटीमीटर का एक सिलेंडर है।

‘वेट एंड मीज़र्स पर आयोजित सम्मेलन में लिया गया फैसला

  • हाल ही में फ्राँस के वर्साइल्स में ‘वेट एंड मीज़र्स’ पर एक बड़े सम्मलेन का आयोजन किया गया और इस सम्मेलन में किलोग्राम की परिभाषा बदलने के लिये मतदान किया गया और मतदान के बाद किलोग्राम की परिभाषा को बदलने के फ़ैसले पर मुहर लगा दी गई।
  • सम्मेलन के दौरान अधिकांश वैज्ञानिकों का मानना था कि किलोग्राम को यांत्रिक और विद्युत चुंबकीय ऊर्जा के आधार पर परिभाषित किया जाए।

किलोग्राम के बदलाव से क्या प्रभाव पड़ेगा?

  • किलोग्राम की परिभाषा में बदलाव होने से लोगों का दैनिक जीवन प्रभावित नहीं होगा बल्कि उद्योग और विज्ञान में इसका व्यावहारिक प्रयोग होगा क्योंकि ये ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ सटीक माप की आवश्यकता होती है।

बदलाव की आवश्यकता

  • अंतर्राष्ट्रीय मात्रक प्रणाली में किलोग्राम सात मूल इकाइयों में से एक है। सात मूल इकाइयाँ हैं- मीटर, किलोग्राम, सेकंड, एम्पियर, कैल्विन, मोल, कैन्डेला, कूलम्ब या कूलाम)। किलोग्राम अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में अंतिम मूल इकाई है जिसे अभी तक एक भौतिक वस्तु (physical Object) द्वारा परिभाषित किया जाता रहा है।
  • चूँकि भौतिक वस्तुओं से परमाणु का ह्रास आसानी से हो सकता है या ये वस्तुएँ हवा से अणुओं को अवशोषित कर सकती हैं इसलिये इसकी मात्रा माइक्रोग्राम में कई बार बदली गई थी।
  • इसका तात्पर्य यह है कि किलोग्राम को मापने के लिये दुनिया भर में एक प्रतिमान (prototype) का उपयोग किया जाता है और यह प्रतिमान अशुद्ध माप बताता है।
  • सामान्यतः जीवन में इस तरह के मामूली बदलाव को महसूस नहीं किया जा सकता लेकिन एकदम सटीक वैज्ञानिक गणनाओं के लिये यह हमेशा से एक बड़ी समस्या रही है।

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